कॉस्मेटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल प्रेग्नेंसी के लिए खतरनाक

ज्यादातर महिलाएं सुंदरता बढ़ाने के लिए कॉस्मेटिक्स यानी सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करती हैं. मगर शायद ही कभी ध्यान देती हैं कि इन कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट में इतने हानिकारक केमिकल्स होते हैं, जो महिलाओं के हारमोन्स और खासतौर से उनके रीप्रोडक्टिव सिस्टम पर गहरा दुष्प्रभाव डालते हैं. महिलाओं में बढ़ते बांझपन, गर्भपात के मामले के पीछे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2017 12:11 PM

ज्यादातर महिलाएं सुंदरता बढ़ाने के लिए कॉस्मेटिक्स यानी सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करती हैं. मगर शायद ही कभी ध्यान देती हैं कि इन कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट में इतने हानिकारक केमिकल्स होते हैं, जो महिलाओं के हारमोन्स और खासतौर से उनके रीप्रोडक्टिव सिस्टम पर गहरा दुष्प्रभाव डालते हैं. महिलाओं में बढ़ते बांझपन, गर्भपात के मामले के पीछे ये मुख्य कारक हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए.

हाल के वर्षों में महिलाओं में बांझपन, गर्भपात के मामले बढ़े हैं. वहीं अंडाशय की असामान्य तरीके से काम करने के पीछे कई तरह के प्रभावी एंडोक्राइन केमिकल्स की पहचान की गयी है, जो महिलाओं के गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करते हैं. इन कॉस्मेटिक्स में नेल पॉलिशन, एंटी बैक्टीरियल साबुन, एंटी एजिंग क्रीम, हेयर स्प्रे और परफ्यूम्स आदि शामिल हैं, किस तरह डालते हैं दुष्प्रभाव

एंटीबैक्टीरियल सोप : साबुन को सबसे प्रमुख किटाणुनाशक माना जाता है, मगर एंटीबैक्टीरियल सोप गर्भधारण की संभावना को भी कम कर सकते हैं. इन साबुनों में ट्राइक्लोसन केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो एंडोक्राइन को प्रभावित करके सीधे आपके हारमोन्स पर असर डालता है और रीप्रोडक्टिव सिस्टम में गड़बड़ी करता है. साबुन, शैंपू और कंडीशनरों में इस्तेमाल होनेवाले पैराबीन्स एक तरह के प्रिजर्वेटिव हैं, जो बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं, लेकिन इनकी अधिक मात्रा गर्भधारण की क्षमता पर असर डाल सकती है, क्योंकि जब हारमोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है, तो उसकी वजह से स्वस्थ अंडाणु और स्वस्थ शुक्राणुओं के बनने की संभावना भी कम होती जाती है.

नेल पॉलिश व रीमूवर्स : जो महिलाएं नियमित नेल पॉलिश लगाती हैं, उन्हें जानना चाहिए कि इसमें ऐसे केमिकल्स का मिश्रण होता है, जो कई तरह के ऑर्गेनिक कंपाउंड से बने होते हैं. ये महिला और पुरुष की प्रजनन क्षमता पर असर डालते हैं.

पॉलिश रीमूवर्स में टॉक्सिक केमिकल्स होते हैं, जिनमें एसीटोन, मिथाइल मेथाक्राइलेट, टोल्यूनी, इथाइल एसिटेट आदि होते हैं. टोल्यूनी आमतौर पर इस्तेमाल किया जानेवाला एक सॉल्वेंट है, जिससे नेल्स पर ग्लॉसी फिनिश आती है, मगर यह सीएनएस और रीप्रोडक्टिव सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाता है. फलाइट्स भी एक ऐसा केमिकल है, जो आमतौर पर हर सौंदर्य प्रसाधन में पाया जाता है और जो हारमोन लेवल को डिस्टर्ब करता है. यह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्तन में मौजूद दूध में भी घुल-मिल जाता है. नेल पॉलिश में पाया जानेवाला केमिकल टीपीएचपी (ट्राइफिनाइल फास्फेट) भी तुरंत डीपीएचपी (डाइफिनाइल फास्फेट) से मेटाबोलाइज्ड होकर महिलाओं में प्रजनन क्षमता से जुड़े जोखिम और समस्याओं को गंभीर स्तर तक बढ़ा सकता है. इन केमिकल्स के संपर्क में आने से गर्भपात का खतरा तो बढ़ता ही है, साथ ही ये गर्भ में पलने वाले बच्चे को भी शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं. इससे बच्चे में शारीरिक या मानसिक विकृति की संभावना बढ़ जाती है. इनकी वजह से गर्भपात, प्रीमैच्योर बर्थ, कम वजन, ब्रेन, किडनी और नर्वस सिस्टम के डैमेज होने का खतरा भी बना रहता है.

विशेष सलाह

हमें सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करने से पहले सेफ्टी के मुद्दे पर भी एक बार विचार कर लेना चाहिए. कॉस्मेटिक्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल प्रेग्नेंसी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए सलाह दी जाती है कि इस तरह के घातक केमिकल्स से युक्त सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल कम-से-कम करें. अगर गर्भधारण हो गया है, तो इनका इस्तेमाल न ही करें, तो बेहतर है.

डॉ पूजा रानी

आइवीएफ एक्सपर्ट

इंदिरा आइवीएफ हॉस्पिटल, रांची

Next Article

Exit mobile version