किडनी रोगियों के लिए रामबान औषधि है गोखरू

गोखरू या गोक्षुर प्राचीन औषधीय पौधा है़ यह आयुर्वेद में पाये जानेवाले दशमूल में से एक है़ इसका फल कांटेदार होता है़ यह किडनी के आकार का होता है़ इसलिए यह किडनी के विकारों को दूर करने के लिए अत्यंत उपयोगी है़ यह पौधा दो प्रकार का होता है़ बड़ा गोखरू व छोटा गोखरू. यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2017 12:34 PM
गोखरू या गोक्षुर प्राचीन औषधीय पौधा है़ यह आयुर्वेद में पाये जानेवाले दशमूल में से एक है़ इसका फल कांटेदार होता है़ यह किडनी के आकार का होता है़ इसलिए यह किडनी के विकारों को दूर करने के लिए अत्यंत उपयोगी है़ यह पौधा दो प्रकार का होता है़ बड़ा गोखरू व छोटा गोखरू. यह मुख्यत: उत्तर भारत में पाया जाता है़ इसका वानस्पतिक नाम ट्रीबुलस टेरेस्ट्रीस है़ जाइगोफाइलेसी परिवार का पौधा है़ अलग-अलग भाषाओं में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है़.
संस्कृत : गोक्षुर
त्रिकंटक (तीन कांटोंवाला )
हिंदी : गोखरू, हथचिकार
बांग्ला : गोखरी
पंजाबी : भखड़ा
अंगरेजी : स्मॉल कैल्ट्राप्स
स्वरूप व पहचान
इसका पौधा जुलाई-अगस्त में बहुलता से पाया जाता है़ यह मुख्यत: बलुई व पथरीली जमीन पर पाया जाता है़ भूमि पर फैलने वाला क्षुप है़ पत्ते चने के पत्ते के समान व संयुक्त होते है़ं इसमें पांच से सात जोड़े पत्रक होते है़ं पुष्प छोटे व पीले रंग के होते है़ं ये शरद ऋतु में लगते है़ं फल तीन तीक्ष्ण कांटो से युक्त, पंच कोणीय होते है़ं फलों के अंदर छोटे-छोटे बीज होते है़ं इसमें सुंगधित तेल पाया जाता है़ जड़ भूरे रंग की और चार से छह इंच लंबी होती है़.
उपयोगी भाग : जड़ व पंचांग
औषधीय उपयोग
यह शरीर की तीन दोष वात, कफ, पित्त जनित रोगाें में उपयोगी है़ यह ठंडा होता है़ इसलिए किडनी के रोग, प्रोस्टेंट ग्रंथी के बढ़ने में, सूजाक, पथरी, पेशाब के रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में, बांझपन, खांसी, दमा, बवासीर, गठिया आदि रोगों में उपयोगी है़ इसमें नाइट्रेट व सुगंधित तेल पाया जाता है़ इसका अर्श कृमि, ह्रदय रोग, रक्तपित्त और गर्भपात आदि में उपयोगी है़ यह पेट के रोगों में अत्यंत उपयोगी है़.
मूत्र रोग : इसके फल के चूर्ण में मूलहटी व शक्कर मिला कर सेवन करने से मूत्र नालिका का घाव ठीक होता है़
स्त्री रोग : गोखरू का फल पानी में उबाल कर सेवन करने से गर्भावस्था के समय या प्रसव के बाद मूत्र नली में आयी खराबियां दूर होती है़
खांसी : गोखरू व अदरक का काढ़ा सुबह शाम प्रयोग करना चाहिए़.
प्रोस्टेंट ग्रंथी : पेशाब के रूक-रूक कर आने या प्रोस्टेंट ग्रंथी बढ़ जाने पर गोखरू को दूध व पानी के साथ मिला कर काढ़ा तैयार किया जाता है़ इस काढ़े काे छान कर प्रयोग करना चाहिए.
रोग प्रतिरोधक क्षमता : इसके बीज का चूर्ण व अश्वगंधा को दूध में मिला कर प्रयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है़
गठिया : इसके पंचांग का काढ़ा प्रयोग किया जाता है़
नीलम कुमारी
टेक्निकल ऑफिसर झाम्कोफेड

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