जीवनभर के साथ के लिए पति का बड़ा होना क्यों जरूरी

वैसे तो विवाह की सफलता के लिए एक-दूसरे पर विश्वास, आपसी समझ-प्रेम की जरूरत समझी जाती है, मगर एक और धारणा है कि लड़का उम्र में लड़की से बड़ा हो. यह एज फैक्टर तब भी इश्यू नहीं बनता अगर लड़का 10-15 साल बड़ा हो. लेकिन पता चले कि दूल्हे से दुल्हन छह माह भी बड़ी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 1:52 PM

वैसे तो विवाह की सफलता के लिए एक-दूसरे पर विश्वास, आपसी समझ-प्रेम की जरूरत समझी जाती है, मगर एक और धारणा है कि लड़का उम्र में लड़की से बड़ा हो. यह एज फैक्टर तब भी इश्यू नहीं बनता अगर लड़का 10-15 साल बड़ा हो. लेकिन पता चले कि दूल्हे से दुल्हन छह माह भी बड़ी है, तो कानाफूसी शुरू हो जाती है. आखिर क्या मायने रखता है एज फैक्टर?

आज भी हमारे समाज में विवाह तय करते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि लड़का उम्र में लड़की से बड़ा हो. अमूमन माना यह जाता है कि युवक को अपनी पत्नी से 5-6 वर्ष बड़ा होना चाहिए. लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि दूल्हा उम्र में दुल्हन से 10-15 साल भी बड़ा होता है. ऐसी शादियां हमारे समाज में आम हैं, लेकिन ये चर्चा का विषय नहीं बनती हैं. तब लोग कहते हैं- ‘अरे, लगता ही नहीं कि 15 साल का अंतर है. अरे भाई लड़का कमाता भी तो इतना अच्छा है, फिर परिवार भी बढ़िया है.’ आशय यह है कि हमारी सोसाइटी में लड़के का बड़ा होना कोई इश्यू नहीं है, जबकि लड़की, लड़के से छह माह भी बड़ी हो तो लोग कानाफूसी करने लग जाते हैं-‘फलां की पत्नी उससे बड़ी है. लड़कियों का अकाल था क्या कि उससे शादी कर ली’.

गौर करनेवाली बात है कि कोई वाजिब तर्क नहीं देता कि आखिर क्यों विवाह के लिए लड़के का बड़ा होना जरूरी है. कई ऐसे उदाहरण देश-विदेश में हैं, जहां लोग बड़ी उम्र की लड़की से शादी करके सुखी जीवन जी रहे हैं, मसलन- सचिन तेंदुलकर-अंजलि तेंदुलकर, अभिषेक बच्चन-ऐश्वर्या राय, नरगिस-सुनील दत्त, एमानुएल मैकरॉन-ब्रिगेट मैकरॉन आदि.

पंडित विष्णु मिश्रा के अनुसार हिंदू धर्म में पहले गौरी विवाह की परंपरा थी, जो अब रही नहीं. मान्यता थी कि लड़के को लड़की से दोगुने उम्र का होना चाहिए. ‘निर्णय सिंधू’ में वर्णित है कि जब सीता माता का विवाह हुआ, तब वह मात्र आठ वर्ष की थीं और भगवान राम 16 वर्ष के थे. हालांकि यह प्राचीन परंपरा थी, लेकिन आज भी ऐसी व्यवस्था कायम है कि विवाह के दौरान लड़के की उम्र लड़की से अधिक होनी चाहिए.

वहीं इदारा ए शरिया के महासचिव (झारखंड) कुतुबुद्दीन ने बताया कि इसलाम में विवाह के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं. हां, लड़के-लड़की के रहन-सहन, हावभाव, बात व्यवहार, भाषा आदि में समानता होनी चाहिए. दोनों का बालिग होना भी जरूरी है. जहां तक आयु की बात है, तो जब हजरत मोहम्मद साहब ने शादी की थी, तो वे 25 साल के थे और उनकी बेगम 40 साल की थीं, जो एक बेवा थीं. इस शादी के जरिये उन्होंने यह संदेश दिया था कि अगर कोई औरत जरूरतमंद हो, तो उसकी आयु शादी में बाधा नहीं बनती है. हमारे समाज में विवाह एक ऐसी संस्था है, जिसकी सफलता के लिए एक-दूसरे पर विश्वास, आपसी समझ-प्रेम की जरूरत सर्वाधिक होती है.

क्या कहता है साइंस

मेडिकल साइंस के अनुसार लड़कियां शारीरिक तौर पर लड़कों की अपेक्षा जल्दी परिपक्व हो जाती हैं. एक 16 साल की लड़की का शारीरिक विकास जिस तरह से हो जाता है, लड़के का नहीं होता. वह इस स्थिति में चार-पांच साल बाद आता है. यही कारण है कि ऐसी मान्यता है विवाह के लिए लड़के का बड़ा होना अनिवार्य है. इसके अतिरिक्त एक और पक्ष भी है, जिसे ध्यान में रख कर लोग अपने से छोटी लड़की से विवाह करते हैं. विज्ञान के अनुसार पुरुष के मुकाबले स्त्री कम उम्र की होती है, तो प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति होती है.

यही कारण है कि ऐसा माना जाता है कि अगर लड़का और लड़की एक उम्र के होंगे, तो भावानात्मक और यौन परिपक्वता के मामले में लड़की आगे होगी. दोनों में संतुलन लाने के लिए विवाह के लिए लड़के की आयु अधिक होने की बात कही जाती है.

क्या कहता है सर्वे

छोटे उम्रवाले से विवाह करने पर बढ़ा है स्त्री मृत्यु दर

एक मेडिकल सर्वे के अनुसार महिलाएं अगर ज्यादा दिनों तक जीना चाहती हैं, तो उन्हें हम उम्र लड़कों से शादी करनी चाहिए. सर्वे का दावा है कि अधिक उम्र के लड़कों से शादी करने पर महिलाओं की उम्र कम हो ही जाती है, जबकि अगर वे अपने से छोटे उम्र के पुरुष से शादी करती हैं, तो उनकी उम्र और भी ज्यादा कम हो जाती है.

सामाजिक मान्यताएं

हमारा समाज पुरुष प्रधान है. शायद यह व्यवस्था इसलिए भी है कि अगर पत्नी उम्र में बड़ी होगी, तो संभव है कि पति की सत्ता को चुनौती मिल जाये.

पटना यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और समाजशास्त्री धर्मशीला प्रसाद का कहना है कि इस सामाजिक मान्यता के पीछे प्रमुख कारण है कि लड़कियां, लड़कों की अपेक्षा जल्दी परिपक्व होती हैं व उनमें सेक्स डिजायर लड़कों की अपेक्षा जल्दी खत्म हो जाता है. ऐसे में अगर लड़की बड़ी होगी, तो संबंध में असंतुष्टि का भाव जागेगा, जो उचित नहीं होगा. यह धारणा भी है कि लड़का परिवार के लिए नौकरी करता है, उम्र में थोड़ा बड़ा होगा तो समझदारी से परिवार की देखभाल कर सकेगा.

मैरिज काउंसलर रत्ना खेमानी कहती हैं- आज परिस्थितियां बदल गयी हैं. स्त्री-पुरुष दोनों कमाते हैं, ऐसे में यह सोच बेमानी हो गयी है कि विवाह के लिए पुरुष का बड़ा होना जरूरी है. हां, विवाह में अत्यधिक उम्र का अंतर घातक होता है. अधिक उम्र का अंतर कई बार अलगाव का कारण भी बनता है.

विवाह की सफलता के लिए प्रमुख कारक

  • दोनों एक-दूसरे से प्रेम करें, एक-दूसरे पर विश्वास हो और उनके रिश्ते में सम्मान हो.
  • एक-दूसरे को कार्य में सहयोग दें.
  • एक-दूसरे को समझें और उनकी जरूरतों का ध्यान रखें.
  • एक-दूसरे के परिवार को पूरा सम्मान दें.
  • आपस में विचारों की समानता बनाएं.

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