23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विरासत को संजोने की चाह ने बनाया बिजनेस वुमेन

जीवन में बदलाव हमेशा खुद से नहीं आते. कई बार खुद भी इसके लिए पहल करनी पड़ती है. इस दौरान कई मुश्किलों और परेशानियों से भी जूझना पड़ता है, लेकिन इरादे अगर नेक और हौसला बुलंद हों, तो फिर सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. बचपन से मां-चाची आदि को मिथिला पेटिंग […]

जीवन में बदलाव हमेशा खुद से नहीं आते. कई बार खुद भी इसके लिए पहल करनी पड़ती है. इस दौरान कई मुश्किलों और परेशानियों से भी जूझना पड़ता है, लेकिन इरादे अगर नेक और हौसला बुलंद हों, तो फिर सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.
बचपन से मां-चाची आदि को मिथिला पेटिंग करते देखती थीं. इन चीजों को वे स्थानीय दुकानदारों को बेचती थी, लेकिन औने-पौने दामों पर. आगे दुकानदार इन्हें ऊंची कीमतों पर बेच कर मोटा मुनाफा कमाते थे. इसी से ख्याल आया कि अगर यह बिक्री मैं अपने एंड से करूं, तो ज्यादा लोगों तक पहुंच बना सकती हूं और बेहतर मुनाफा भी मिल सकता है.” यह कहना है मधुबनी जिला की सरहद शाहपुर गांव की निवासी गुड़िया झा का. गुड़िया पिछले करीब 10 वर्षों से अपना बिजनेस चला रही हैं. एक छोटी-सी कोशिश से शुरू हुआ उनका यह बिजनेस का सफर बेहद दिलचस्प है.
मां से सीखी मिथिला की कला
गुड़िया बताती हैं कि मिथिलांचल क्षेत्र की महिलाएं मिथिला पेंटिंग बनाती हैं. बचपन से उन्हीं को बनाते देख-देख कर खुद सीख गयी. फिर बड़े होने पर उसे ही बिजनेस के रूप में विकसित करने का फैसला लिया. पहले बंग्ला डॉट कॉम नामक बेवसंस्था से जुड़ी, जिसकी ओर से उन्हें एक आइडी कार्ड प्रदान किया गया. इससे सामानों को मेलों में बिक्री के लिए ले जाने का रास्ता खुला. पर कुछ ही समय बाद यह संस्था बंद हो गयी. तब गुड़िया बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित जीविका मिशन कार्यक्रम से जुड़ीं. इसके तहत उन्हें स्व-सहायता समूह गठित करके अपना बिजनेस करने की ट्रेनिंग दी गयी.
दो हजार रुपये से शुरू किया काम
ट्रेनिंग लेने के बाद गुड़िया ने आस-पड़ोस की 15 महिलाओं को अपने ग्रुप में जोड़ स्व-सहायता समूह गठित किया. वह बताती हैं- 2000 रुपये की पूंजी से अपना बिजनेस शुरू किया था. आज हर महीने 10-15 हजार रुपये कमा लेती हूं और अगर किसी मेले में स्टॉल लगाया, तो 30-40 हजार रुपये तक की आमदनी भी हो जाती है. गुड़िया पिछले पांच वर्षों से लगातार सरस मेले में स्टॉल लगाने के अलावा पाटलिपुत्रा कॉलोनी, पटना में आयोजित उद्ममिता मेला, रांची, गया, भागलपुर, जयपुर, राजस्थान, लखनऊ आदि शहरों में आयोजित होनेवाले शिल्प मेलों में भी भागीदारी निभा चुकी हैं.
महिलाओं को बनाती हैं हुनरमंद
गुड़िया चादर, तकिया कवर, मेजपोश, परदा, साड़ी, कुरता, और दीवारों पर अपनी मिथिला पेंटिंग की कलाकारी को खूबसूरती से उकेरती हैं. अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें भी पारंगत बनाती हैं. करीब 30-35 महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं. उनमें से कई अपना खुद का बिजनेस कर रही हैं.
गुड़िया कहती हैं कि उन्हें अपने काम में पति व परिवार का पर्याप्त सहयोग मिलता है. तभी घर-बाहर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा पाती हैं. आगे इतना चाहती हैं कि सरकार मार्केटिंग में सहयोग कर दे, तो उन्हें मेहनत का और बेहतर मुनाफा मिल सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें