कल से शुरू हो रहा विश्व स्तनपान सप्ताह, झारखंड में शुरुआती स्तनपान की दर मात्र 33 प्रतिशत

कल से विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत हो रही है, प्रति वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व भर में यह सप्ताह मनाया जाता है. इस सप्ताह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को स्तनपान के लिए प्रेरित करना है. विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन पूरे विश्व भर में वर्ल्ड एलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन, वर्ल्ड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2017 3:01 PM

कल से विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत हो रही है, प्रति वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व भर में यह सप्ताह मनाया जाता है. इस सप्ताह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को स्तनपान के लिए प्रेरित करना है. विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन पूरे विश्व भर में वर्ल्ड एलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन, वर्ल्ड हेल्थ अॅार्गनाइजेश और यूनिसेफ द्वारा किया जाता है. 0-6 माह तक के बच्चे के लिए स्तनपान बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह उसके लिए पहले टीके के समान है . इस दौरान अगर बच्चे को स्तनपान कराया जाता है, तो उसे कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है.

इस वर्ष भी विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन देशभर में किया जा रहा है. यूनिसेफ झारखंड की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार इस वर्ष 1-7 अगस्त तक मनाये जाने वाले स्तनपान सप्ताह का थीम है, ‘सस्टेनिंग ब्रेस्टफिडिंग टुगेदर’, जिसका अर्थ है एक साथ स्तनपान कराने को जारी रखना. यह थीम स्तनपान की आवश्यकता और महत्व को रेखांकित करता है.

यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डॉ मधुलिका जोनाथन ने बताया कि, सतत विकास के कई लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्तनपान महत्वूर्ण है. स्तनपान बच्चे को पोषण देने के साथ-साथ, मृत्यु से बचाव और शिक्षा एवं मानसिक विकास को बेहतर बनाकर उसके जीवन को सर्वोत्तम शुरूआत दिलाता है. स्तनपान बहुत ही कम लागत वाले निवेशों में से एक है, जिसे सुनिश्चित कर झारखंड में सामाजिक और विकास के संकेतकों को बेहतर बनाया सकता है. उनका मानना है किस्तनपान किसी एक महिला का काम नहीं है. इसके लिए कुशल परामर्शदाताओं, परिवार के सदस्यों, स्वास्थ्य देखभाल करने वालों, नियोक्ताओं, नीति निर्माताओं तथा अन्य लोगों के प्रोत्साहन और सहयोग की भी आवश्यकता है. एक बच्चे को अगर समय से स्तनपान कराया जाये, तो उसके मृत्यु का खतरा कम हो जाता है, साथ ही कुपोषित होने की आशंका भी कम हो जाती है.

भारत सरकार के राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-4) के आंकडों के मुताबिक, झारखंड में शुरूआती स्तनपान कराने की दर केवल 33 प्रतिशत है, जबकि 6-8 महीने के बच्चे को पूरक आहार देने की दर 47 प्रतिशत है. केवल 7 प्रतिशत बच्चे को ही यहां पर्याप्त आहार मिल पाता है.

वर्ष 1992 में सर्वप्रथम विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन हुआ था, तब से लेकर अबतक इस सप्ताह का आयोजन हर वर्ष होता है. प्रतिवर्ष एक नये थीम के साथ इस सप्ताह का आयोजन किया जाता है. पहली बार "बेबी फ्रेंडली हॉस्पिटल इनिशिएटिव" थीम के साथ इस सप्ताह की शुरुआत हुई थी.

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