निम्न रक्तचाप मुद्रा के क्‍या है फायदे

निम्न रक्तचाप मुद्रा के फायदे निम्न रक्तचाप की स्थिति में धमनियों में रक्त का प्रवाह बहुत धीमा पड़ जाता है. इसमें ऊपरी प्रेशर का माप 90 और निचले प्रेशर का माप 60 के आसपास रह जाता है. इससे रोगी में हमेशा सुस्ती छायी रहती है और मामूली श्रम करने का भी उत्साह नहीं रह जाता. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2017 2:38 PM
निम्न रक्तचाप
मुद्रा के फायदे
निम्न रक्तचाप की स्थिति में धमनियों में रक्त का प्रवाह बहुत धीमा पड़ जाता है. इसमें ऊपरी प्रेशर का माप 90 और निचले प्रेशर का माप 60 के आसपास रह जाता है. इससे रोगी में हमेशा सुस्ती छायी रहती है और मामूली श्रम करने का भी उत्साह नहीं रह जाता. यह स्थिति अवसाद, स्मरण-शक्ति के ह्रास, सिरदर्द, चक्कर आने, उलटी आने, भोजन के प्रति अरुचि, नपुंसकता, अचानक बेहोश होकर गिर जाना, अधिक प्यास लगना, चिड़चिड़ापन, घबराहट, धुंधला दिखायी देना, त्वचा में पीलापन, सांसों का तेज चलना आदि लक्षण देखे जाते हैं.
ऐसी स्थिति में निम्न रक्तचाप मुद्रा बहुत कारगर है, क्योंकि यह हमारे शरीर में जल की मात्रा को संतुलित करती है. इससे शरीर में रक्त का प्रवाह सामान्य बनाये रखने में मदद मिलती है. निम्न रक्तचाप के रोगियों को दायीं करवट लेटने से बचना चाहिए और अधिकतर समय बायीं करवट ही लेटना चाहिए. इसके रोगी यदि दिन में प्रति घंटे दो-तीन मिनट के लिए बायीं नासिका को बंद कर केवल दायीं नासिका से सांस लें और छोड़ें, तो इससे भी यह समस्या समाप्त हो जाती है.
कैसे करें: बायें हाथ की कनिष्ठा और अनामिका उंगलियों को दायें हाथ की मुट्ठी में बंद कर लें. अब दायें हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को बायें हाथ की मध्यमा ऊंगली के अग्रभाग से मिलाएं.
कितनी देरः आधा-आधा घंटे दो बार.
संपर्क : ओशोधारा, मुरथल, सोनीपत, हरियाणा, फोनः 09891532889

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