रक्षाबंधन पर है भद्रा का साया, साथ में चंद्रग्रहण भी

भद्रा योग और सूतक में राखी नहीं बांधने की है परम्परा, होता है अशुभ चंद्र ग्रहण की वजह से राखी बांधने के लिए केवल पांच घंटे ही शुभ मुहूर्त इस साल सावन महीने के अंतिम दिन आगामी सात अगस्त को पूरे शिल्पांचल में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जायेगा. लेकिन इस पर नजर लगाये बैठा है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2017 11:43 AM
भद्रा योग और सूतक में राखी नहीं बांधने की है परम्परा, होता है अशुभ
चंद्र ग्रहण की वजह से राखी बांधने के लिए केवल पांच घंटे ही शुभ मुहूर्त
इस साल सावन महीने के अंतिम दिन आगामी सात अगस्त को पूरे शिल्पांचल में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जायेगा. लेकिन इस पर नजर लगाये बैठा है भद्रा का साया. रक्षाबंधन को चंद्र ग्रहण होगा जो रात 10.52 से शुरू होकर 12.49 तक रहेगा. चंद्र ग्रहण से छह घंटे पहले ही सूतक लग जायेगा. और ठीक इससे पहले भद्रा का असर होगा. चंद्रग्रहण पूर्ण नहीं होगा बल्किखंडग्रास होगा. दोपहर 1.45 से लेकर 4.35 तक का समय रक्षा बंधन हेतु शुभ समय है.
स्थानीय शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी के अनुसार भद्रा योग और सूतक में राखी नहीं बांधनी चाहिए.रक्षा बंधन में बहन के द्वारा भाई को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त होता है. इस मुहूर्त के दौरान ही राखियां बांधी जाती हैं. रक्षाबंधन के दौरान भद्रकाल का ध्यान रखा जाता है. भद्रकाल के दौरान बहन, भाई को राखी नहीं बांधती है क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक भद्रकाल में राखी बांधना घातक होता है. ऐसे में भद्रकाल से पहले या उसके टलने के बाद ही राखी बांधी जाती है.
लेकिन इस बार भद्रकाल से ज्यादा चंद्र ग्रहण का प्रभाव है. राखी बांधने के समय के दौरान चंद्र ग्रहण के साये का ध्यान रखना होगा. चंद्र ग्रहण की वजह से इस बार राखी बांधने के लिए केवल पांच घंटे ही शुभ मुहूर्त है.
कोई भी बहन नहीं चाहेगी कि उसकी किसी भूल के चलते उसके भाई का अहित हो या उसे कोई नुकसान हो. यही वजह है कि भद्रा में बहनें अपने भाईयों को राखी नहीं बांधतीं. कहा जाता है कि सूर्पनखा ने अपने भाई रावण को भद्रा में ही राखी बांधी थी.
और इसी वजह से रावण का विनाश हुआ था. प्रमुख तीन देवों में से यदि एक भी उपस्थित न हो तो कोई भी पूजा या आराधना संपन्न नहीं मानी जाती. किसी भी हवन या पूजा आराधना के दौरान तीनों देवों का ध्यान किया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भद्रा काल में भगवान शंकर तांडव करते हैं. इस दौरान शिव के क्र ोधित होने के चलते ही कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.
पहले की परंपरा थी कि जब घर के पुरु ष सावन के समापन पर काम के लिए निकलते थे तो बहनें भाईयों को रक्षा सूत्न बांधती थी. सावन के समापन पर पूर्णिमा के दिन ही रक्षा बंधन होता है और इस बार पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण है. रक्षा बंधन के लिए अगर इससे पहले किसी कारणवश जाना पड़ जाए तो चावल दान कर रक्षा सूत्न बांधा जा सकता है और दुष्परिणामों से बचा जा सकता है.

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