भारतीय समाज में भाई-बहन का रिश्ता बहुत अहम है, यहां तक की धर्म की दीवार भी इसके आड़े नहीं आती है. आप देखेंगे कि कई मुस्लिम बहनें अपने भाइयों के साथ-साथ हिंदू भाइयों को भी राखी बांधती आयी हैं और हिंदू बहनें भी मुस्लिम और ईसाई भाइयों को राखी बांधती आयी हैं. यह भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है. रक्षाबंधन का त्योहार समर्पित है भाई-बहन के अटूट प्रेम को.
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रक्षाबंधन पर याद आती है सरबजीत और दलबीर कौर के अनूठे प्रेम की
भारतीय समाज में भाई-बहन का रिश्ता बहुत अहम है, यहां तक की धर्म की दीवार भी इसके आड़े नहीं आती है. आप देखेंगे कि कई मुस्लिम बहनें अपने भाइयों के साथ-साथ हिंदू भाइयों को भी राखी बांधती आयी हैं और हिंदू बहनें भी मुस्लिम और ईसाई भाइयों को राखी बांधती आयी हैं. यह भारतीय संस्कृति […]
इतिहास में भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जब बहनों ने भाई से सहायता मांगी तो भाई जाति-धर्म की दीवार गिराकर उसकी मदद के लिए दौड़े आये. एक उदाहरण जिसकी चर्चा हमेशा से होती आयी है वह मुगल शासक हुमांयू और मेवाड़ की रानी कर्णावती की. मेवाड़ की रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा राणा सांगा की पत्नी थीं. उनके निधन के बाद गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर हमला कर दिया था. उस वक्त रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए हुमांयू को राखी भेजकर सहायता मांगी थी, जिसे स्वीकार करके हुमांयू ने रानी की मदद की और उन्हें अपनी धर्मबहन मानकर उनके राज्य की रक्षा की.
आधुनिक काल में समय काफी बदल गया है, लेकिन आज भी भाई-बहन का प्यार नहीं बदला है, एक ओर जहां भाई अपनी बहनों के लिए कुछ भी कर गुजरने से पीछे नहीं हटते, वहीं बहनें भी अपने भाइयों के लिए कई कुर्बानियां देती हैं. पाकिस्तान में जासूस बताकर कैद किये गये भारतीय नागरिक सरबजीत की बहन दलबीर कौर की याद रक्षाबंधन के मौके पर सहसा आ ही जाती है.
दलबीर कौर ने अपने भाई को पाकिस्तान की कैद से छुड़ाने के लिए जितनी मशक्कत की, उससे हम सभी वाकिफ हैं. यह बात दीगर है कि दलबीर कौर अपने भाई को बचा नहीं सकी और पाकिस्तान की कैद में ही उनकी मौत हो गयी. लेकिन जो प्रयास उन्होंने किया, वह एक बहन का अपने भाई के प्रति अटूट प्रेम ही था.भारतीय समाज में भाई-बहन के प्रेम के ऐसे अनगिनत उदाहरण हमारे सामने हैं, जिसकी याद इस पवित्र त्योहार के दिन आ ही जाती है.
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