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जन्मजात भी होता है थायरॉयड

प्रो (डॉ) राजीव वर्मा डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, चितकोहरा, पटना मो : 9334253989 आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि थायरॉयड रोग सिर्फ बड़ों में ही होता है, परंतु कुछ मामलों में यह रोग बच्चों में भी होता है. थायरॉयड दो प्रकार के होते हैं- हाइपोथायरॉयड और हाइपरथायरॉयड. बच्चाें में हाइपोथारॉयड की समस्या अधिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2017 2:29 PM
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प्रो (डॉ) राजीव वर्मा
डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, चितकोहरा, पटना
मो : 9334253989
आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि थायरॉयड रोग सिर्फ बड़ों में ही होता है, परंतु कुछ मामलों में यह रोग बच्चों में भी होता है. थायरॉयड दो प्रकार के होते हैं- हाइपोथायरॉयड और हाइपरथायरॉयड. बच्चाें में हाइपोथारॉयड की समस्या अधिक होती है. अगर बच्चों में इस रोग का इलाज समय पर न कराया जाये, तो बच्चा मंदबुद्धि का हो सकता है.
लक्षण : नवजात में अधिक दिनों तक पीलिया की शिकायत रहना, चेहरा फूलना, मांसपेशियों का कमजोर होना, कब्ज इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं. बच्चे के बढ़ने के बाद समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. रोग के पकड़ में नहीं आने पर मंदबुद्धि के लक्षण नजर आने लगते हैं.
होमियोपैथिक इलाज : यदि मां को थायरॉयड की समस्या है, तो बच्चों में होने की संभावना बढ़ जाती है. इसकी जानकारी क्लिनिकल टेस्ट से मिल जाती है. खून की जांच व गले के अल्ट्रासाउंड से भी इस रोग का पता लगाया जाता है. इस रोग में थायरोडिनम नाम की दवा दी जाती है. इसकी मात्रा बच्चे के वजन पर निर्भर करती है. इस दवा को कुछ दिनों तक लेना चाहिए. बच्चे के दिमाग का विकास दो साल तक ही होता है,
अगर बच्चे को रोग हो और उसका सही तरीके से इलाज न हो पाये, तो उसका मंदबुद्धि होना तय है. ऐसे मामलों में तीन साल के बाद एक बार दवा बंद करके जांच की जाती है. उसके आधार पर ही निर्णय लिया जाता है कि दवा आगे चलानी है या नहीं.

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