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खान-पान सुधारें मल्टिपल स्क्लेरोसिस से बचें

मल्टिपल स्क्लेरोसिस से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 60 फीसदी तक शिकार होती हैं. प्रति एक लाख में 1-3 लोग इस बीमारी के दायरे में हैं. यह रोग अकसर 20 से 40 की उम्र के बीच शुरू होता है. परिवार में किसी को इस बीमारी के होने पर अन्य अन्य सदस्यों में इसके होने की आशंका […]

मल्टिपल स्क्लेरोसिस से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 60 फीसदी तक शिकार होती हैं. प्रति एक लाख में 1-3 लोग इस बीमारी के दायरे में हैं. यह रोग अकसर 20 से 40 की उम्र के बीच शुरू होता है. परिवार में किसी को इस बीमारी के होने पर अन्य अन्य सदस्यों में इसके होने की आशंका 10 गुना अधिक हो जाती है.
क्या है मल्टिपल स्क्लेरोसिस : मल्टीपल स्क्लेरोसिस ब्रेन की ऐसी बीमारी है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है. यह एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है. यह ब्लड के जरिये ब्रेन तक पहुंचती है और अपना असर दिखाना शुरू कर देती है. शुरुआत में केवल सूजन होता है, लेकिन धीरे-धीरे यह पूरे बॉडी का इम्यून सिस्टम को बिगड़ने लगता है. इस कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उसका असर भी दिखने लगता है.
अचानक कम दिखने, पर मरीज आइ स्पेशलिस्ट के पास चले जाते हैं, कमर में दर्द होने लगता है, तो मरीज ऑर्थोपेडिक के पास जाते हैं, बैलेंस बिगड़ने लगता है, तो मरीज स्पाइनल स्पेशलिस्ट से सलाह लेते हैं. ये सभी मल्टीपल स्क्लेरोसिस के भी हो सकते हैं. इससे रोगी तनाव ग्रस्त हो जाते हैं. इस बीमारी में शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली ऐसी बनने लगती है, जिसमें शरीर ऐसी कोशिका और उत्तकों (Antibodies) का निर्माण करने लगता है, जो अपनी ही कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करता है.
लक्षण : रोगी को शुरू-शुरू में धुंधला या दो-दो चीजें नजर आने की समस्या हो सकती है. धीरे-धीरे नजर कमजोर हो जाती है. सिहरन और संवेदन शून्यता या संवेदना में कमी हो सकती है. अत्यधिक ठंड या गर्मी का आभास हो सकता है.
ये समस्या अक्सर हाथ या पैर में हो सकती है. मांसपेशियों में अकड़न और मरोड़, पैरों में कमजोरी, तेजी से ऊंगलियां चलाने में भी समस्या आ सकती है. रोगी को बैलेंस और तालमेल बनाने में मुश्किल आती है. थकान और बेचैनी सबसे लाचार कर देनेवाली समस्या है.
और अक्सर यह बीमारी की शुरुआत से ही बढ़ने लगती है. ये लक्षण सभी रोगी में पाये जाते हैं. सभी मरीज में सभी लक्षण नहीं होते हैं. ज्यादातर मल्टीपल स्क्लेरोसिस पीड़ितों को तभी दौड़ा पड़ता है, जब स्तिथि ज्यादा बिगड़ जाती है. इसे relapse कहते हैं. समय के साथ-साथ इस रोग में परेशानी बढ़ने लगती है.
जांच : खून जांच से पता चलता है कि रोगी इससे पीड़ित है या नहीं. बैलेंस, समन्वय, विजन और अन्य एक्टीविटीज की जांच कराएं. एमआरआइ से संपूर्ण शरीर की जांच हो जाती है. CSF (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड) जांच से बीमारी का पता लगता है क्योंकि मल्टीपल स्क्लेरोसिस पीड़ित रोगी के CSF में अमूमन खास तरह के प्रोटीन पाये जाते हैं.
उपचार : दवा से रोग के लक्षणों को कम कर सकते हैं, जीवन शैली में परिवर्तन और परामर्श. लक्षणों को राहत देने में मदद कर सकते हैं. नियमित व्यायाम, विशेष रूप से स्विमिंग,
– फिजियोथेरेपी से मांसपेशियों की ताकत और टोन बनाए रखने में मदद मिलेगी. मालिश का सहारा ले सकते हैं.
– फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थों का सेवन, कब्ज को रोकने में फायदेमंद होता है. साथ ही धूम्रपान छोड़ें. यह इसकी स्थिति बिगाड़ सकता है. विटामिन डी लें. कैल्शियम के साथ तरल पदार्थ लीजिए.
– ओमेगा-3 और आमेगा-6 फैटी एसिड का सेवन कीजिए. इस बीमारी के इलाज के लिए जरूरी है मरीज के लक्षण समझें, डॉक्टर को दिखाएं और खानपान पर विशेष
ध्यान दें.
बातचीत : सौरभ चौबे
केस स्टडी
22 वर्षीया रूबी कुछ महीनों से बहुत ज्यादा थकान की वजह से लाचार महसूस कर रही थी. इधर कुछ सप्ताह से उसे थोड़ा धुंधला दिखायी दे रहा था और पैरों में कमजोरी, चलने में लड़खड़ाहट, मांसपेशियों में जकड़न, सिहरन के साथ हाथ और पैर एक दम ठंडे पड़ जाते थे. बेचैनी भी बहुत रहती थी.
उनका वजन भी तेजी से बढ़ रहा था. रूबी वैसे तो बहुत ही हंसमुख और मिलनसार थी और पढ़ाई में भी काफी अच्छी थी, पर इधर कुछ दिनों से चिड़चिड़ी हो गयी थी. उसके मिजाज में काफी परिवर्तन आ गया था. खून जांच में पता लगा रूबी को मल्टिपल स्क्लेरोसिस है. इन सभी लक्षणों को ध्यान में रखकर, मैंने उनको CONIUM MACULATUM 200 होम्योपैथिक दवाई दी और साथ में खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की सलाह दी. 5 महीने में थोड़ा सुधार दिखा, तो वहीं दवा लंबी अवधि तक सेवन करने को कहा.

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