आप भी इनके तरह‍ बन सकतीं है ””बुलेट रानी””

भारत में ऐसा माहौल बनाने के लिए जहां रोड पर मोटर-साइकिल चलातीं हजारों लड़कियां दिखें, उर्वशी पतोले ने एक ग्रुप शुरू किया है- ‘द बाइकरनी’. महिला सशक्तीकरण पर काम करनेवाला यह ग्रुप महिलाओं को एडवेंचर करने, मोटर-साइकिल ट्रिप पर जाने और एक नये आयाम को छूने के लिए प्रोत्साहित करता है. मिशन है महिला बाइकर्स […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2017 2:39 PM
भारत में ऐसा माहौल बनाने के लिए जहां रोड पर मोटर-साइकिल चलातीं हजारों लड़कियां दिखें, उर्वशी पतोले ने एक ग्रुप शुरू किया है- ‘द बाइकरनी’. महिला सशक्तीकरण पर काम करनेवाला यह ग्रुप महिलाओं को एडवेंचर करने, मोटर-साइकिल ट्रिप पर जाने और एक नये आयाम को छूने के लिए प्रोत्साहित करता है. मिशन है महिला बाइकर्स को एक प्लेटफार्म देना, उन्हें आपस में जोड़ना और जीने के लिए वे रास्ते दिखाना, जिनके बारे में वे सिर्फ कल्पना करती हों.
‘द बाइकरनी’ ग्रुप की महिलाएं मानती हैं कि “बाइकिंग निर्वाण का स्त्रोत है, जो हमारी नसों में उत्साह भर देता है. Don’t mess with us, वरना आपको दूर तक सिर्फ धूल के गुब्बारे नजर आयेंगे.” ग्रुप ने मंत्र बनाया है- ”सजने-संवरने के लिए मिट्टी और परफ्यूम के लिए पेट्रोल- ”we like mud for make-up and petrol for perfume”.
हर लड़की बन सकती है बाइकर
आमतौर पर लड़कियों के बारे में सुनने को मिलता है कि ”वे अच्छी ड्राइव नहीं करतीं” या रोड पर लड़की चला रही है, तो ”संभल कर चलो,” उसे देख लोग हंस देते हैं. लेकिन यह नहीं सोचते कि खराब ड्राइविंग सिर्फ वही लड़कियां करती हैं, जो देर से गाड़ी चलाना सीखती हैं. अगर 18 साल की उम्र से ही उन्हें बाइक या कार चलाना सिखाया जाये, तो वे भी उतनी ही बेहतर ड्राइविंग कर सकेंगी.
‘द बाइकरनी’ ग्रुप न सिर्फ ख़ुद बाइक राइड करता है, बल्कि नयी लड़कियों को ट्रेनिंग भी देता है, ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लड़कियां बाइक चलाना सीख सकें. इस ग्रुप से ही निकली शीतल 2010 में हिमालय की सबसे कठिन चढ़ाई ‘मर्सिमेक ला’ पूरी करके शिखर पर पहुंचीं और लिम्का रिकॉर्ड बनाया. पेशे से शीतल एक राइटर हैं, जो बाइक राइडिंग से रिलेटेड आर्टिकल लिखती हैं और साथ ही बाइक टूरिस्ट गाइड भी बनती हैं.
क्यों है जरूरत ?
बाइक चलाने को सिर्फ शौक़ से न जोड़ें, बल्कि इसे आगे बढ़ने का एक जरिया मानें. मान लीजिए किसी दिन आपके घर में कोई इमरजेंसी आ गयी और घर में उस वक़्त सिर्फ बाइक रखी अन्य कोई साधन आपके पास न हो, तो क्या आप उस बाइक का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं करेंगी कि आप लड़की हैं और आप बाइक नहीं चला सकतीं?
एक और मजेदार पहलू यह भी है कि सड़क पर लड़की अगर बाइक से चलेगी तो आवारा-मनचले लड़के उसे कम तंग करेंगे, क्योंकि जो टन भर की बाइक संभाल सकती हैं, वह दो-दो हाथ करके मनचलों को तो निबटा भी सकती हैं… है न? उर्वशी पतोले, सीमा शर्मा, सपना गुरुकर की तरह आप भी यह हिम्मत दिखा सकती हैं.
सीमा शर्मा डोरा
मां, पत्नी और बाइक राइडर
हमने हमेशा मां का वह रूप देखा है, जिसमें वह हमें डांटकर ख़ुद भी रोने लगती है. दिनभर घर में साड़ी में लिपटी हुई हमारी ज़रूरतों को पूरी करती रहती है. लेकिन बाइक राइडिंग के शौक़ ने कई माओं को हिम्मत दी और अपने तय दायरों से बाहर निकाला. दिल्ली में रहनेवाली सीमा शर्मा डोरा ट्रेवल एजेंसी चलाती हैं और एक मां हैं. पढ़ाई से एक वकील हैं और शौक से एक बाइकर. सीमा के पास 6 बाइक हैं, जिनमें से एक यामाहा 1000cc है. सीमा भारत की पहली अकेली सर्टिफाइड महिला हैं, जिन्होंने 36 घंटों में 2700 किलोमीटर की बाइक राइड की.
सीमा कहती हैं, मैं 18 साल की उम्र से बाइक चला रही हूं. मैं ख़ुशनसीब हूं कि मुझे परिवार का और फिर पति का साथ मिला. हां, कई बार सोसाइटीवालों ने परेशानी खड़ी की. महिलाएं कहती हैं कि तुम फ़िज़ूल में बाइक में पैसे बर्बाद करती हो, प्लाट में इन्वेस्ट किया करो. मुझे कभी किसी से फ़र्क नहीं पड़ा. लड़कियों को अगर आगे बढ़ना है तो उन्हें “लोग क्या कहेंगे” का डर मन से निकालना होगा. अब मैं एक मां भी हूं, दो बेटे हैं मेरे, और मुझे गर्व होता है जब एक महिला होकर मैं उन्हें मोटर-साइकिल चलाना सिखाती हूं, न कि सिर्फ उनके पिता.
कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव्स को आज करती हूं लीड
सपना गुरुकर उद्दमी, बेंग्लुरु
आज मेरी पहचान देश की उन चुनिंदा महिलाओं में से है, जो मोटरबाइक चलाती हैं. एक समय था, जब लोग मुझे एक शर्मीली और छुई-मुई टाइप लड़की समझते थे. मैं ऐसे रूढ़िवादी परिवार से हूं, जहां पैरेंट्स बेटियों को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव थे. रेसिंग के प्रति मेरा रूझान कॉलेज टाइम में हुआ.
लोग ताने भी कसते थे कि लड़की होकर मैं बाइक चलाती हूं. शादी के बाद मेरे हसबैंड ने मुझे फोर-व्हीलर चलाना सिखाया. वह दरअसल ऑफ रोड कार रेसर हैं. उनका सहयोग और समर्थन है कि मैं ऑफ-रोड कार रेसिंग में कई खिताब जीत चुकी हूं. मेरा खुद का कॉफी प्लांटेशन का बिजनेस है. साथ ही, कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव्स को ट्रेनिंग देती हूं.
नपुट : अपर्णा अय्यर

Next Article

Exit mobile version