सावधान : पेट के कीड़ों से हो सकता है कुपोषण

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार एक से 13 साल की आयु के 68 प्रतिशत बच्चों में मिट्टी से हेल्मिंथ्स (helminths) नामक कीड़े से संक्रमण का जोखिम अधिक होता है. हालांकि, यह समस्या व्यस्कों को भी हो सकती है. इसके कई प्रकार होते हैं जैसे राउंड वॉर्म, हुक वॉर्म, व्हिप वॉर्म आदि पेट के कीड़े होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2017 12:21 PM
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार एक से 13 साल की आयु के 68 प्रतिशत बच्चों में मिट्टी से हेल्मिंथ्स (helminths) नामक कीड़े से संक्रमण का जोखिम अधिक होता है. हालांकि, यह समस्या व्यस्कों को भी हो सकती है. इसके कई प्रकार होते हैं जैसे राउंड वॉर्म, हुक वॉर्म, व्हिप वॉर्म आदि पेट के कीड़े होने पर बच्चों में निम्न लक्षण दिखायी दे सकते हैं.
गुदा में खुजली : यदि बच्चे के मल में कीड़े दिखें, तो उसे तुरंत दवा देनी चाहिए. इसका लक्षण मलद्वार में खुजली हो सकता है. यह समस्या ज्यादातर रात को होती है.
वजन घटना : आंतों के कीड़ों से होनेवाले इन्फेक्शन का असर पोषण पर भी होता है. भूख कम लगती है, जिसकी वजह से वजन घटता है.
पाचन की समस्याएं : भूख कम लगने से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे भोजन ठीक से अवशोषित नहीं हो पाता है. दस्त और कब्ज की आशंका बढ़ जाती है.
सांस की बदबू : विटामिन बी-12 और जिंक की कमी के कारण मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है और गैस्ट्रिक की समस्या भी बढ़ जाती है. इससे सांस में बदबू भी आने लगती है. एनिमिया : पेट के इन कीड़ों से बहुत अधिक खून की कमी भी हो जाती है, जिससे एनिमिया का खतरा बढ़ जाता है.
होमियोपैथिक इलाज : इसके लिए कई तरह की दवाइयां आती हैं. सिना, क्यूप्रियम वेरा, सेटोनिन आदि दवाइयों लक्षणानुसार देने से कीड़े शौच से होकर बाहर निकल जाते हैं और मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है.

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