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हर उम्र में बदल जाती है जरूरत
श्वेता जायसवाल कंसल्टेंट डायटिशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है. शिशु को पहले छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए. मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो उसेे आने-वाले 5-6 सालों तक विभिन्न संक्रामक […]
श्वेता जायसवाल
कंसल्टेंट डायटिशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची
शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है. शिशु को पहले छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए. मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो उसेे आने-वाले 5-6 सालों तक विभिन्न संक्रामक रोगों से दूर रहने में मदद करता है. मां का दूध लगातार दो साल तक पिलाया जा सकता है. पहली बार निकलनेवाले दूध में कोलेस्ट्रम पाया जाता है. यह सुपाच्य भी होता है और जीवन के विभिन्न चरणों में ब्लड कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम भी करता है.
छह से 12 माह तक तरल हो भोजन
बच्चे को 80kcal/kg बॉडी वेट के हिसाब से कैलोरी मिलनी चाहिए. छह माह से ऊपर के बच्चों का दूध के अन्य आहार भी देना चाहिए. इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है. पहला अनाज का (गेहूं, चावल, मड़ूवा, सूजी), दूसरा दलहन का और तीसरा फलों व सब्जियों का. तवे पर घी या रिफाइंड तेल में भून कर दाल को पाउडर बना लें. खिलाने के पहले इस मिश्रण को पानी, दाल, नमक, सब्जी या दूध, फल एवं चीनी में उबाल कर खिलाएं.
इस उम्र में बच्चे को नरम चीजें देनी चाहिए, जो सुपाच्य हो और वह आसानी से निगल जायें. केले को दूध में मसल कर उसे बच्चे को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें. फलों का जूस व ऊबला अंडा मसल कर दे सकते हैं. 12 महीने के बच्चों का दांत निकलने लगता है. इसलिए उसे कुतरने के लिए रोटी का टुकड़ा, बिस्कुट, गाजर, फलों का टुकड़ा दे सकते हैं. दिनभर में 2-3 बार ऊपर का आहार दें, बच्चे का पेट छोटा होने के कारण वह बार-बार थोड़ा खाता है.
1-3 वर्ष में कलरफुल हो डायट
1-3 वर्ष के बच्चों को 1060 kcal ऊर्जा व 4-6 वर्ष के बच्चों को 1350 kcal ऊर्जा की आवश्यकता होती है. पेट को सही रखने के लिए सभी तरह की सब्जियां व फलों का प्रयोग करें. आटावाला नूडल्स सब्जियों के साथ दे सकती हैं. तिरंगा सैंडविच पुदीना चटनी, टोमैटो साॅस, जैम भी बच्चों को अच्छा लगता है और पोषक भी होता है. मिल्क शेक, फ्रूट शेक, आइसक्रीम, बादाम चिक्की, दाल से बना पापड़, सांभर-चावल, दही-चावल, पुलाव दे आदि दे सकते हैं. इसमें कैलोरी और प्रोटीन दोनों होता है.
7-12 वर्ष में पौष्टिक और टेस्टी हो खाना
इस उम्र के बच्चे स्कूल जानेवाले होते हैं. 7-9 वर्ष के बच्चों को 1690kcal ऊर्जा, जबकि 10-12 वर्ष के बच्चों को 2190 kcal ऊर्जा की आवश्यकता होती है.
कैल्शियम की जरूरत 800 एमजी होती है. इसे पूरा करने के लिए दो से तीन ग्लास दूध लेना चाहिए. खेलकूद पर अधिक ध्यान देने के कारण वे खाने पर ध्यान नहीं देते, इसलिए भोजन में रंग, स्वाद, सुगंध और बनावट की भिन्नता उन्हें इसके लिए आकर्षित कर सकती है. वेजिटेबल पुलाव, उबला अंडा, रायता, फल, मेथी पराठा, गाढ़ी दाल, छांछ, दाल एवं सत्तु पराठा, सलाद, चीज सैंडविच, इडली, खिचड़ी, चटनी आदि दे सकते हैं. सूखे मेवे फल को शाम के नाश्ते में शामिल करना चाहिए.
किशोरावस्था में होता है शारीरिक बदलाव
इस अवस्था में लड़के एवं लड़कियों में कई तरह के शारीरिक एवं मानसिक बदलाव आते हैं. उनका वजन और लंबाई तेजी से बढ़ते हैं. 13-17 वर्ष के लड़कों को 2750-3020 kcal एवं प्रोटीन 54.3-61.5 ग्राम, जबकि इसी उम्र की लड़कियों को 2330-2440 kcal ऊर्जा एवं प्रोटीन 51.9-55.5 ग्राम की आवश्यकता होती है. इस वक्त इन्हें आयरन की भी आवश्यकता अधिक होती है. सब्जियों में आलू की जगह पर गाजर, ब्रोकली, पालक आदि दे सकते हैं.
जूस की जगह प्रतिदिन एक से दो साबूत फल फायदेमंद होगा. केला, सेब, नाशपाती, जामुन, तरबूज, आम आदि फल ले सकते हैं. इनमें एंटीऑक्सीडेंट भी होता है.
विटामिन, जिंक और आयरन की जरूरत पूरी करने के लिए डेयरी उत्पाद दूध, दही, छेना, पनीर, अनाज, सोयाबीन, नट्स आदि लेना चाहिए. चीनी की मात्रा कम लेनी चाहिए. सोडा, एनर्जी पेय पदार्थ, जूस, चाय आदि कम-से-कम लें. प्रतिदिन 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं और योग या व्यायाम का अभ्यास करें.
प्रस्तुति : सौरभ चौबे
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