एसएमएस छुड़ा सकता है गर्भवती महिलाओं से धूम्रपान….जानिए कैसे

पांच सौ महिलाओं पर अध्ययन एक नये अध्ययन से पता चला है कि फोन पर भेजे गये संदेश गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान छुड़ाने में कारगर हैं. नयी दिल्ली : फोन पर संदेश भेज कर जोरदार अभियान चलाने से गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. एक नये अध्ययन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2017 1:44 PM
पांच सौ महिलाओं पर अध्ययन
एक नये अध्ययन से पता चला है कि फोन पर भेजे गये संदेश गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान छुड़ाने में कारगर हैं.
नयी दिल्ली : फोन पर संदेश भेज कर जोरदार अभियान चलाने से गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान की लत छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है, जिससे सिगरेट पीने की आदत छुड़ाने के नये प्रभावी तरीके सामने आये हैं
अमेरिका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन में ऐसी गर्भवती महिलाओं को शामिल किया जो पहले ही टेक्स्ट मैसेजिंग कार्यक्रम टेक्स्ट 4 बेबी का इस्तेमाल कर रही थीं. टेक्स्ट 4 बेबी गर्भावस्था में शराब पीने की आदत को छुड़ाने में तो मददगार दिखा लेकिन धूम्रपान में ऐसा नहीं लगा. अनुसंधानकर्ता पता लगाना चाहते थे कि क्या और भी अधिक प्रभावी मोबाइल फोन संदेश कार्यक्रम क्विट 4 बेबी कारगर साबित होगा.
टीम ने करीब 500 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया जो हर दिन औसतन सात सिगरेट पीती थीं लेकिन इस आदत को छुड़ाने में मदद चाहती थीं.
क्विट 4 बेबी कार्यक्रम धूम्रपान को कम से कम करने के मकसद से तैयार किया गया है और इसमें गर्भवती महिलाओं को सिगरेट छोड़ने का संकल्प लेने के लिहाज से प्रोत्साहित करने के लिए हर दिन एक से आठ तक संदेश भेजे जाते हैं. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक इन संदेशों में महिलाओं को धूम्रपान से होने वाले खतरों की जानकारी मिलती है और महिलाएं वापस संदेश भेजकर मदद भी मांग सकती हैं.
अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार टेक्स्ट 4 बेबी और क्विट 4 बेबी दोनों ही कार्यक्रमों में पंजीकृत 16 प्रतिशत महिलाओं ने तीन महीने के बाद सिगरेट फूंकने की आदत छोड़ दी जबकि केवल टेक्स्ट 4 बेबी कार्यक्रम का फायदा उठाने वाली 11 फीसदी महिलाओं ने ही धूम्रपान छोड़ा.
स्मोकिंग से शिशु हो सकता है विकृत
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली मां से पैदा हुए बच्चे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम और अस्थमा (एसआइडीएस) की चपेट में आ सकते हैं. गर्भावस्‍था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक जाता है.
बच्चा सामान्य कद से छोटा पैदा होता है. बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है. क्योंकि धूम्रपान के कारण उसे जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं और उसका शरीर पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है. धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में साढ़े पांच पाउंड से कम वजन के बच्चे पैदा होने की संभावना दुगनी होती है.
धूम्रपान करने से गर्भनाल की लंबाई पर असर होता है और और प्रसव के दौरान दिक्कत होती है कई बार तो सिजेरियन की नौबत आ जाती है. शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिसके कारण बच्‍चे को कई सामान्‍य बीमारियां होने का खतरा रहता है. धूम्रपान के कारण शिशु को अस्‍थमा जैसे फेफड़े से संबंधित रोग गर्भ में ही हो जाते हैं. इसके साथ ही बच्‍चे के दिमाग का विकास नहीं हो पाता है और मेमोरी लॉस होने का खतरा बढ़ जाता है.

Next Article

Exit mobile version