मनोरोग का निदान है योग

डॉ नरेश कुमार फिजियोथैरेपिस्ट और योगाचार्य भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान, दिल्ली. दूरभाष-9990970104 आपाधापी भरी जिंदगी से मनुष्य का चैन भी छिन रहा है. तनाव इसका मुख्य कारण है. एलोपैथ केवल उन्हीं रोगों का उपचार कर सकता है, जो बाहर से आती हैं. इसलिए, मन से उपजी बीमारियों का किसी भी पैथी में स्थायी इलाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2017 1:14 PM
डॉ नरेश कुमार
फिजियोथैरेपिस्ट और योगाचार्य
भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान, दिल्ली. दूरभाष-9990970104
आपाधापी भरी जिंदगी से मनुष्य का चैन भी छिन रहा है. तनाव इसका मुख्य कारण है. एलोपैथ केवल उन्हीं रोगों का उपचार कर सकता है, जो बाहर से आती हैं. इसलिए, मन से उपजी बीमारियों का किसी भी पैथी में स्थायी इलाज नहीं है, क्योंकि इसका संबंध हमारी वृत्तियों से होता है. मन को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम तरीका है-ध्यान. अनुलोम-विलोम भी दिमाग की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने में काफी कारगर है. जो ध्यान और प्राणायाम नहीं कर पाते, वे कुछ आसन आजमा ही सकते हैं.
सुखासन : इससे मन एकदम शांत हो जाता है और चित्त की एकाग्रता बढ़ती है. पैर मुड़े होने के कारण घुटने से ऊपर का रक्त-प्रवाह तेज होता है और मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है. यह आसन आध्यात्मिक लाभ देता है. स्मरण-शक्ति और सकारात्मक सोच बढ़ती है.
विधिः पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके सिर, गर्दन और रीढ को एक सीध में रख कर बैठें. सहज रूप से पालथी बनाएं और दोनों हाथों को पैरों पर रखें. उंगलियां खुली रहें और कंधे ढीले. सिर हल्का-सा ऊपर उठा हुआ हो. आंखें बंद रखें. धीमी, लंबी और गहरी सांस लें. पांच से 10 मिनट तक करें. घुटनों के दर्द या सायटिका के रोगी इसे न करें.
शवासन : शवासन से पूरे शरीर को आराम मिलने के कारण मानसिक तनाव और सिरदर्द दूर होता है. थकान मिटती है और काम के लिए ऊर्जा मिलती है. इससे नींद भी आती है. यह आसन हताशा-निराशा से निकालकर लोगों में सकारात्मक भाव भरता है. स्मरण शक्ति बढ़ती है और नयी चेतना का संचार होता है.
विधि : पीठ के बल लेटें. हाथ शरीर के अगल-बगल कमर से थोड़ा हटाकर रखें. हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रहे. शरीर को ढीला छोड़ दें और आंखें बंद कर हल्की सांसें लें और आती-जाती सांसों को महसूस करें. शरीर के प्रत्येक अंग को बंद आंखों से देखने का प्रयास करें. आराम के लिए घुटनों के नीचे पतला तकिया या गद्दा रख सकते हैं.
मत्स्यासन : इससे सांस नलिका की ऊष्णता बढ़ती है और म्यूकस बाहर निकल जाता है और सांस लेना सहज हो जाता है.विधि : सीधे लेटकर पद्मासन लगाएं. दोनों हाथ नितंबों के नीचे रखें. गर्दन को मोड़ कर माथा जमीन से लगाएं, ताकि पीठ थोड़ा ऊपर उठ जाये. अब पैरों के अंगूठों को पकड़ें और कुछ देर रुकें. कुछ पल बाद गर्दन सीधी कर हाथों को फिर से नितंबों के नीचे रखें. गर्दन और धड़ को ऊपर उठा कर गर्दन को बायीं-दायीं ओर 3-3 बार क्लॉक और एंटी-क्लॉकवाइज घुमाएं. पद्मासन खोलकर विश्राम करें.
बालासन
बच्चा गर्भ में जिस अवस्था में रहता है, वही बालासन है. बच्चा गर्भ में आराम की मुद्रा में होता है, इसलिए यह आसन मन की पीड़ा को हरने और बहुत आराम देनेवाला माना गया है. यदि यह आसन शीर्षासन के बाद किया जाये, तो लाभ और बढ़ जाता है.
विधि : वज्रासन में बैठ कर सांस भरते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं. कुछ सेकेंड बाद, सांस छोड़ते हुए कूल्हे से इतना झुक जाएं कि हथेलियां जमीन को स्पर्श करें. जिनके कंधों में दर्द हो वे हाथ पीछे भी रख सकते हैं. माथा जमीन से लग जाने दें. कुछ देर बाद, दोनों हाथों की उंगलियों को फंसाकर उस पर सिर रखें. सांस को नाभि तक जाने दें.सलाह है कि इन आसनों को कुशल योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें.
धनुरासन
इससे दिमागी खराबी में तो लाभ होता ही है, मानसिक रोगों से बचना भी संभव है. यह आसन उत्तेजना को दूर रखता है, जिससे मानसिक रोगों से बचाव होता है. मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है. सिरदर्द या माइग्रेन के रोगी और गर्भवती महिलाएं यह आसन न करें.
विधि : पेट के बल लेटें और हाथ पीछे करते हुए पैरों को पकड़ें. सांस भरते हुए सीने और पैरों को ऊपर उठाएं और हाथों को सीधा रखते हुए कुल्हों को ऊपर उठाकर, पैरों को पीछे की ओर खींचें. सिर और जांघों को जमीन से यथाशक्ति ऊपर उठाएं. लंबी सांसों के संग लगभग 20 सेकेंड तक करें. सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं. यही प्रक्रिया तीन से पांच बार दुहराएं.

Next Article

Exit mobile version