प्रेग्नेंसी में सही नहीं है बुखार होना

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके व गर्भ को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. अमेरिका में हुए एक ताजा रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के पहले 3 से 8 सप्ताह में अगर गर्भवती महिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2017 8:58 AM

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके व गर्भ को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. अमेरिका में हुए एक ताजा रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के पहले 3 से 8 सप्ताह में अगर गर्भवती महिला को बुखार हो जाये, तो बहुत संभावना बनती है कि होनेवाले बच्चे में हृदय और चेहरे संबंधी विकार हों. शिशु में जन्मजात हृदय विकार और होंठ तथा तालू के कटे होने के पीछे अब तक मुख्य वजह यही समझा जाता रहा है कि पहली तिमाही में बुखार होने से ही बच्चे में इन विकारों का खतरा बढ़ जाता है.

विशेषज्ञ वर्षों से इस बात की भी पड़ताल करते रहे हैं कि किसी वायरस या संक्रामक कारणों से ये विकार पैदा होते हैं या केवल बुखार के कारण यह समस्या पैदा होती है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि पहले 3 से 8 सप्ताह के भीतर गर्भवती को बुखार होने की वजह से बच्चे में हृदय और जबड़े का विकास प्रभावित होता है.

सायंस सिग्नलिंग जर्नल में प्रकाशित रिपोर्टके अनुसार पहली तिमाही में एसिटामिनोफेन के उचित इस्तेमाल से मां में बुखार की आशंका को कम किया जा सकता है. इससे जन्मजात इन दोषों को एक हद तक रोका जा सकता है. इसलिए इसे गंभीरता से लेना जरूरी है. प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर महिलाओं को किसी भी तरह की दवा से बचने की सलाह देते हैं. साथ ही किसी भी तरह की तकलीफों के बारे में अपने डॉक्टर से खुल कर चर्चा करें.

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