28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अविश्वास पर विश्वास

पति के मौत के बाद उसकी आंखों में आंसू थे. दिल में दर्द था और जीवन में सूनापन भी. फिर भी टूट कर बिखर जानेवाली स्थिति कभी नहीं हुई. उसने जिंदगी को नये सिर से जीने की कोशिश भी शुरू कर दी, लेकिन समाज उसे लगातार आहत कर रहा था. लोग नहीं चाहते थे कि […]

पति के मौत के बाद उसकी आंखों में आंसू थे. दिल में दर्द था और जीवन में सूनापन भी. फिर भी टूट कर बिखर जानेवाली स्थिति कभी नहीं हुई. उसने जिंदगी को नये सिर से जीने की कोशिश भी शुरू कर दी, लेकिन समाज उसे लगातार आहत कर रहा था. लोग नहीं चाहते थे कि वह अपने पति की मौत का मातम खत्म करे. परिवार भी चाहता था कि उसके पति के मौत का गम हमेशा उसके साथ रहे.उन सबको खारिज कर उसने नयी राह चुनी थी.

जिंदगी शादी, संबंध, समझ और उसके बाद प्रेम या समझौते के अनुकूल जी जाती है. फिर बाल-बच्चे में व्यस्तता इतना वक्त नहीं देती कि कुछ और सोचा जाये. सुनिधि की शादी के पीछे शायद उसके पिता उसके परिवार ने यही सोचा होगा. शादी के बाद संबंध और समझ तो विकसित हो गये, लेकिन प्रेम नहीं पनप पाया. शायद वक्त के साथ प्रेम भी सहजता से उस दंपति के बीच प्रवाहित होता, लेकिन पति मौत के साथ ही यह ‘शायद’ हमेशा बना ही रह गया. चाहे इसे सामाजिक ताना-बाना कहा जाये या पारिवारिक परिवेश का नतीजा, उसके जेहन में कभी पति से अलग होने का ख्याल नहीं आया था. लेकिन दुर्घटना आपकी उम्मीदों के अनुरूप कहां होती है? पति के मौत के बाद उसकी आंखों में आंसू थे. दिल में दर्द था और जीवन में सूनापन भी. फिर भी टूट कर बिखर जानेवाली स्थिति कभी नहीं हुई. उसने जिंदगी को नये सिर से जीने की कोशिश भी शुरू कर दी, लेकिन समाज उसे लगातार आहत कर रहा था. लोग नहीं चाहते थे कि वह अपने पति की मौत का मातम खत्म करे. परिवार भी चाहता था कि उसके पति के मौत का गम हमेशा उसके साथ रहे.

उन सबको खारिज कर उसने नयी राह चुनी थी. जब राह नयी थी, तो जाहिर-सी बात है कि रास्ते भी नये ही होते. अंजाने रास्ते हमेशा डराते नहीं, इसलिए तो आकाश की बांह पकड़ कर चलना उसे लुभाने लगा. पहली बार उसने प्रेम को जिया, उस रास्ते पर चली, जिस पर जमाने भर की पाबंदी थी. एक बार भी जुदाई का ख्याल नहीं आया. अक्सर हम और आप नहीं सोचते जरूरी नहीं कि जिंदगी हमें वैसे ही रंग दिखाये.

एक समय के बाद आकाश को भी सारी परंपराएं याद आने लगीं. परिवार और समाज याद आने लगा. इस वजह से दोनों के रास्ते अलग हो गये. इस बार वह टूट गयी, बिखरी गयी, तड़पी भी, और रात-रात भर रोई भी, लेकिन जिंदगी खत्म नहीं हुई. इन सबसे उबारने के लिए उसके पास अब कबीर था. उसके हर आंसू पोंछने के लिए, हर तकलीफ को दूर करने के लिए, कई सारे वादे करने के लिए और जीवन भर साथ निभाने के लिए भी, लेकिन अब सुनिधि को यकीन नहीं आता. कबीर से वह अथाह प्रेम करती है लेकिन उस पर यकीन नहीं कर पाती. उसने पति से अलग होने की कल्पना नहीं की थी, लेकिन नियति ने उन्हें अलग कर दिया. आकाश से अलग नहीं होना चाहती थी. वह खुद ही उसे छोड़ कर चला गया.

‘’मैंने दो लोगों पर भरोसा किया, पर आज दोनों में से कोई भी मेरे साथ नहीं हैं. तुमसे प्रेम तो करती हूं, लेकिन तुम पर भरोसा नहीं है.’’

कबीर- ‘’…तो तुम क्यों हो मेरे साथ?’’

सुनिधि- ‘’क्योंकि अब मैं अपने अविश्वास पर टिकी रहना चाहती हूं. (कुछ सोचते हुए) अच्छा सुनो तुम क्या सोचते हो? पति तो बिना कुछ कहे चला गया. आकाश ने परिवार की दुहाई देकर रास्ते अलग कर लिये. अब तुम अलग होने के लिए क्या कहोगे?’’

कबीर- ‘’पहली बात तो यह कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, इसलिए अलग होने का सवाल ही नहीं उठता. फिर भी अगर यह नौबत आयी, तो मुझे नहीं मालूम मैं तुम्हें क्या कहूंगा? मां नहीं चाहती, परिवार को परेशानी है, यह सब बहाने मैं नहीं कर सकता. सच बात तो यह है कि मैं तुमसे कभी अलग नहीं होऊंगा. हां, ये सांसे थम जायें तो और बात है.’’

अब सुनिधि के मन में कोई डर नहीं था. वह अपने अविश्वास पर ज्यादा विश्वास करके मुस्करा रही थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें