देर तक डायपर पहनाने से हो सकता है यूटीआइ

आजकल की मांओं में छोटे बच्चों को डिस्पोजेबल डायपर पहनाने का चलन है. पर, डायपर पहनाकर भूल जाने पर बच्चे कई घंटों तक उसी में पेशाब और पॉटी करते हैं. इससे रैशेज और यूटीआइ इन्फेक्शन का खतरा होता है. 4-5 घंटे तक डायपर न बदलने से उनकी सेंसिटिव स्किन प्रभावित होती है. इन अंगों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2017 12:52 PM

आजकल की मांओं में छोटे बच्चों को डिस्पोजेबल डायपर पहनाने का चलन है. पर, डायपर पहनाकर भूल जाने पर बच्चे कई घंटों तक उसी में पेशाब और पॉटी करते हैं. इससे रैशेज और यूटीआइ इन्फेक्शन का खतरा होता है. 4-5 घंटे तक डायपर न बदलने से उनकी सेंसिटिव स्किन प्रभावित होती है. इन अंगों को स्वस्थ रखने के लिए उसे साफ और सूखा रखना जरूरी है. डायपर बदलते समय स्किन पर मल-मूत्र लगे रह जाने से कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो डायपर एरिया की स्किन पर फंगल इन्फेक्शन फैलाते हैं.

क्या है कारण : डिस्पोजेबल डायपर छोटे-छोटे ग्रैन्यूल से बनते हैं, जो लिक्विड के सुपर एब्जार्बर होते हैं. ये ग्रैन्यूल डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक केमिकल से बनते हैं. डायपर की आउटर लेयर रिफाइंड प्लास्टिक पॉलिथीलीन की बनती है, जो ग्रैन्यूल द्वारा एब्जार्ब किये गये यूरिन को बाहर नहीं निकलने देती और बच्चे को गीलेपन का एहसास नहीं होता. लेकिन, इस आउटर लेयर की वजह से डायपर में हवा पास नहीं होती और स्किन को नुकसान पहुंचाती है.

डायपर का चुनाव करते समय उनकी क्वॉलिटी और नाप का ख्याल रखें. आम तौर पर उनका मानना होता है कि एक डायपर कम-से-कम 4 घंटे तक पहनाया जा सकता है. हालांकि, यह सर्वथा गलत है, क्योंकि अगर बच्चा यूरिन ज्यादा पास करेगा, तो डायपर जल्दी गंदा होगा. इस बीच यदि बच्चे में मल भी त्याग दिया और वह डायपर नहीं बदला गया, तो इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है.

क्या है उपचार : डायपर से होनेवाले यूटीआइ को दूर करने के लिए डॉक्टर बच्चे को सिरप के रूप में एंटीबॉयोटिक मेडिसिन देते हैं. रैशेज पर रेगुलर लगाने के लिए एंटी-रैशेज क्रीम और काॅर्न स्टार्च युक्त एंटी-फंगल टैल्कम पाउडर दिया जाता है. इस पाउडर को डायपर पहनाने से पहले लगाने से त्वचा ड्राइ और सॉफ्ट रहती है.
डायपर से होनेवाली अन्य समस्याएं : कई पैरेंट्स 2-3 साल के बच्चों को भी डायपर पहनाते हैं. ऐसे बच्चे खुद को कंफर्टेबल नहीं महसूस करते. वे ठीक से उठ-बैठ नहीं पाते, ठीक से चल नहीं पाते, डायपर की रगड़ से उनकी जांघ और टांगों में दर्द हो सकता है. गंदे डायपर के कारण होनेवाले इन्फेक्शन से बच्चे को स्ट्रेस हो सकता है. वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और चिखने-चिल्लाने लग सकते हैं. हमउम्र बच्चों से लड़ाई भी कर सकते हैं.
केस स्टडी
सीमा अपने छह माह के बेटे अतुल को लेकर परेशान थी. कुछ दिनों से वह चिड़चिड़ा हो गया था. देर तक रोता रहता था. यहां तक कि दूध भी ठीक से नहीं पीता था. पेट में दर्द की आशंका के कारण उन्होंने उसे डाॅक्टर से दिखाया. डॉक्टर नेे चेकअप कर बताया कि रात-दिन डायपर पहनने से यह परेशानी हुई है. उसके प्राइवेट पार्ट्स और उसके आसपास की स्किन पर सूजन और लाल रैशेज आ गये थे. यूटीआइ (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) की भी समस्या थी, जिससे यूरिन पास करतेे समय दर्द और जलन हो रही थी. उसे तीन दिनों तक दिन में दो बार एंटीबाॅयोटिक सिरप पीने और रैशेज पर क्रीम लगाने की सलाह दी गयी. साथ ही डायपर न पहनाने की हिदायत दी गयी.
डॉ भूपेंद्र सिंगला
चाइल्ड स्पेशलिस्ट, सिंगला क्लिनिक, नयी दिल्ली

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