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सर्दी में शरीर में तुरंत गर्मी पैदा करता है यह मुद्रा, जानें करने के उपाय

एक बार में हमारी एक ही नासिका चलती है. बायीं नासिका का चलना शीतलता देता है, जबकि दायीं नासिका के चलते समय शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है. यद्यपि नासिकाओं का परस्पर बदलना एक प्राकृतिक व्यवस्था है,सर्दियों में दाहिनी नासिका का चलना शरीर के तापमान को सामान्य बनाये रखने में उपयोगी है. ठंड लगने पर, […]

एक बार में हमारी एक ही नासिका चलती है. बायीं नासिका का चलना शीतलता देता है, जबकि दायीं नासिका के चलते समय शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है. यद्यपि नासिकाओं का परस्पर बदलना एक प्राकृतिक व्यवस्था है,सर्दियों में दाहिनी नासिका का चलना शरीर के तापमान को सामान्य बनाये रखने में उपयोगी है. ठंड लगने पर, जाने-अनजाने हम अपनी हथेलियों को अपनी कांख में छिपा लेते हैं. अगर इसे थोड़ी जागरुकता पूर्वक किया जाये, तो इससे काकी मुद्रा बन जाती है.
इस मुद्रा से हाड़ कंपाने वाली सर्दी में भी शरीर में तुरंत गर्मी पैदा होती है. इससे बंद नाक भी तुरंत खुल जाता है. इस मुद्रा से खांसी, अस्थमा, जुकाम, साइनस, सर्दी में भी लाभ मिलता है. इस मुद्रा से सूर्य और चंद्र नाड़ी सम होती है और हमारी दोनों नासिकाएं एक साथ चलने लगती हैं और ध्यान में प्रवेश करना आसान हो जाता है.
कैसे करें : दोनों भुजाओं को मोड़ते हुए,दायें हाथ को बायें हाथ के बगल में और बायें हाथ को दायें हाथ के बगल में इस प्रकार रखें कि केवल अंगूठा बाहर रह जाये. भुजाओं को शरीर के साथ लगाकर रखें ताकि हाथों पर दबाव पड़े. इस मुद्रा में गहरे-लंबे सांस भरें. वज्रासन में करने से अधिक लाभ होगा.
कितनी देर करें : धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 5 से 15 मिनट दिन में तीन बार.

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