Day of Zero Tolerance : औरतों के खतने का स्याह सच, जानें कैसे किया जाता है genital mutilation

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड प्रोजेक्ट ने आज महिलाओं के खतना के खिलाफ मनाये जाने वाले ‘इंटरनेशनल डे फॉर जीरो टॉलरेंस’ के अवसर पर एक आंकड़ा जारी किया है, जो ना सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि महिला अधिकारों की धज्जियां उड़ाता भी नजर आता है. प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष विश्वभर में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2018 11:17 AM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड प्रोजेक्ट ने आज महिलाओं के खतना के खिलाफ मनाये जाने वाले ‘इंटरनेशनल डे फॉर जीरो टॉलरेंस’ के अवसर पर एक आंकड़ा जारी किया है, जो ना सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि महिला अधिकारों की धज्जियां उड़ाता भी नजर आता है. प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष विश्वभर में 3.9 महिलाओं का खतना होता है, जो वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 4.6 मिलियन हो जायेगा.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो जीटरस ने चेतावनी देते हुए आज कहा कि अगर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गयी तो 2030 तक 68 मिलियन लड़कियां महिला जननांग के संक्रमण का शिकार हो सकती हैं. उन्होंने कहा महिला जननांग को अवैज्ञानिक तरीके से काटे जाने का असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है और यह महिला अधिकारों का घोर उल्लघंन है. विश्व भर के 30 करोड़ देशों में लगभग दो सौ मिलियन महिलाएं खतना का शिकार हो चुकी हैं. संयुक्त राष्ट्र ने यह लक्ष्य बनाया है कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ वर्ष 2030 तक इस कुप्रथा को विश्वभर से समाप्त किया जाये.

भारत में बोहरा मुसलमानों के बीच मौजूद है यह परंपरा
भारत में बोहरा मुसलमानों के बीच यह रुढ़िवादी परंपरा कायम है. बोहरा मुसलमान भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रहते हैं. इनकी कुल आबादी 10 लाख के आसपास है और यह समुदाय आर्थिक रूप से तो सशक्त है ही शिक्षित भी है, बावजूद इसके इस समुदाय में यह परंपरा व्याप्त है. वर्ष 2015 में बोहरा समुदाय की एक महिला जेहरा पटवा ने अपनी तसवीर जारी कर इस परंपरा का विरोध किया था और बताया था कि किस तरह उन्हें इंग्लैंड से भारत लाकर उनका खतना किया गया था.
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