वैलेंटाइंस डे विशेष : ये है कुछ राजनीतिज्ञ, जिन्‍होंने जाति और मजहब को अपने प्रेम के रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया

जाति-धर्म से ऊपर उठ प्रेम धागे में बंधे सामाजिक स्तर पर तमाम जटिलताओं के बावजूद कई राजनीतिज्ञों ने जाति और मजहब को अपने प्रेम के रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया, बल्कि रूढ़ियों को तोड़ दिया. आइए जानते हैं प्रेम के लिए जाति और महजब की दीवार को तरजीह नहीं देनेवाले राजनेताओं की कहानी. अब्दुल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2018 4:07 AM
जाति-धर्म से ऊपर उठ प्रेम धागे में बंधे
सामाजिक स्तर पर तमाम जटिलताओं के बावजूद कई राजनीतिज्ञों ने जाति और मजहब को अपने प्रेम के रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया, बल्कि रूढ़ियों को तोड़ दिया. आइए जानते हैं प्रेम के लिए जाति और महजब की दीवार को तरजीह नहीं देनेवाले राजनेताओं की कहानी.
अब्दुल बारी सिद्दीकी-नूतन सिन्हा : राजद नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की शादी नूतन सिन्हा से हुई है. दोनों जेपी मूवमेंट के आंदोलनकारी रहे हैं और कहा जाता है कि इसी दौरान दोनों के बीच प्रेम पनपा. पारिवारिक विरोध के बावजूद दोनो ने शादी की. इस विवाह को जेपी और कर्पूरी ठाकुर दोनों का आशीर्वाद और नैतिक समर्थन मिला. इनकी दो संताने हैं. बेटी खुशबू बारी सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं, तो बेटा अनीस बारी कंप्यूटर इंजीनियर.
श्याम रजक-अलका वर्मा : बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके श्याम रजक दलित समुदाय से आते हैं. उनकी शादी अलका वर्मा से हुई है, जो सवर्ण हैं. दरअसल, अलका वर्मा उनके मित्र विकास वर्मा की बहन हैं.
एक बार श्याम अपने इस मित्र की बर्थडे पार्टी में भाग लेने मुंबई गये थे, वहीं उन्होंने अलका को देखा और उसे पसंद करने लगे. फिर दोनों की फोन पर बातें होने लगीं. 22 मार्च, 2001 को दोनों की शादी मुंबई में हो गयी. शादी में बॉलीवुड के कई कलाकार शामिल हुए. बिहार से लालू यादव उनकी शादी में भाग लेने पहुंचे थे.
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव-रंजीत रंजन : सांसद पप्पू यादव और उनकी पत्नी सांसद रंजीत रंजन की प्रेम कहानी बिहार में काफी मशहूर रही है. पप्पू यादव आनंदमार्ग को माननेवाले रहे हैं और रंजीत रंजन सिख हैं. दिलचस्प है कि पप्पू के आनंदमार्गी पिता ने कभी इस विवाह को लेकर कोई आपत्ति नहीं जतायी. आखिरकार 1994 में दोनों का विवाह हो गया. आज दोनों वैवाहिक जीवन के साथ राजनीतिक जीवन में भी साथ निभा रहे हैं.
सुशील कुमार मोदी-जेस्सी जार्ज : बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की शादी केरल की कैथोलिक महिला जेस्सी जार्ज से हुई है. शादी के बाद सुशील मोदी ने जेस्सी को कभी ईसाई धर्म छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया. बात तब की है जब मोदी एबीवीपी के नेता थे और आरएसएस के एक कार्यक्रम में भाग लेने ट्रेन से कश्मीर जा रहे थे. यात्रा में उनकी मुलाकात जेस्सी से हुई. दोनों के बीच खतो-किताबत भी होने लगी. मगर दोनों दो अलग-अलग मजहब के थे. सुशील मोदी ने परिवारवालों को किसी तरह तैयार किया. 1986 में हुई इस शादी में अटल बिहारी वाजपेयी भी पहुंचे थे. तभी वाजपेयी ने उन्हें भाजपा ज्वाइन करने का न्योता दिया था.
शाहनवाज हुसैन-रेनू शर्मा : पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन का रेनू शर्मा के साथ प्रेम का किस्सा भी काफी मधुर है. दोनों एक ही बस से कॉलेज आया-जाया करते थे. इसी दौरान शाहनवाज को रेनू शर्मा पसंद आ गयीं. एक रोज उन्होंने रेनू को सीट ऑफर कर उनसे दोस्ती कर ली और घर आने-जाने लगे.
मगर सवाल मजहब का था. शाहनवाज ने रेनू के बर्थ डे पर कार्ड देकर उनके पूछा कि क्या आप मुझसे शादी करेंगी. इस पर रेनू ने कहा कि इस बारे में उन्होंने सोचा नहीं है. बहरहाल, धीरे-धीरे रेनू भी शाहनवाज को पसंद करने लगीं. मगर इस प्रेम के रिश्ते को विवाह में बदलने में दोनों को कई साल लग गये. 1986 में शुरू हुए प्रेम को 1994 में मंजिल मिली. तब से दोनों का रिश्ता अटूट हैं. रेनू शिक्षिका हैं और कवयित्री भी.
उमर अब्दुल्ला-पायल नाथ : भले आज जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व उनकी पत्नी पायल नाथ अलग-अलग रास्तों पर चल पड़े हैं, मगर एक वक्त था जब यहां के लोगों की जुबां पर इस खूबसूरत जोड़ी के प्यार के चर्चे हुआ करते थे. दिल्ली के एक होटल में काम करते वक्त दोनों की नजरें मिलीं. दिल की बात जुबां तक आने तक कई मुलाकातें हुईं और 1994 में शादी कर ये एक-दूजे के हो गये. पायल के पिता मेजर जेनरल रन नाथ आर्मी ऑफिसर रहे हैं.
हालांकि इस रिश्ते को नजर लग गयी औऱ मामला तलाक तक आ पहुंचा. इसी परिवार की एक और अनूठी प्रेम कहानी है उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला और युवा कांग्रेस नेता सचिन पायलट की. दोनों की पहली मुलाकात लंदन में हुई थी, जिसके बाद दोनों में प्यार हुआ और आज दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे हैं.

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