नियमित योगाभ्यास से दूर रखें एलर्जी
II योगाचार्य ऋतु त्रिपाठी II अध्यक्षा, शक्ति सौंदर्य एसोसिएशन, नयी दिल्ली सीलन, धूल, आर्द्रता, धुआं, बदलता मौसम, दूध, चना, गेहूं आदि के कारणों से एलर्जी का इन्फेक्शन के मामले इस मौसम में देखे जा सकते हैं. बदलते मौसम में एलर्जी के मामलों में वृद्धि हो जाती है. एलर्जी का कारण कुछ भी हो, सभी पीड़ितों […]
II योगाचार्य ऋतु त्रिपाठी II
अध्यक्षा, शक्ति सौंदर्य एसोसिएशन, नयी दिल्ली
सीलन, धूल, आर्द्रता, धुआं, बदलता मौसम, दूध, चना, गेहूं आदि के कारणों से एलर्जी का इन्फेक्शन के मामले इस मौसम में देखे जा सकते हैं. बदलते मौसम में एलर्जी के मामलों में वृद्धि हो जाती है. एलर्जी का कारण कुछ भी हो, सभी पीड़ितों को 5 मिनट भस्त्रिका और 15-15 मिनट कपालभाति और अनुलोम विलोम का अभ्यास निरंतर करना चाहिए. एलर्जी में वीरभद्रासन भी उपयोगी हैं, किंतु हम यहां अधिक शीघ्रता से एलर्जी से मुक्त करने वाले कुछ आसनों की चर्चा कर रहे हैं.
सलंब सर्वांगासन : पीठ के बल के लेट जाएं और दोनों हाथों को कमर के अगल-बगल में रखें. अब घुटनों को कड़ा रखते हुए दोनो पैरों को ऊपर की ओर उठाएं. पैरों को इतना ऊपर उठाएंकी कमर और पैर दोनों समकोण बना लें. अब हथेलियों को कमर पर लगाएं और कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएं कि आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे. यह विधि सालंब सर्वांगासन कहलाती है. निरंतर अभ्यास करते रहें और हाथों को हटाने की आदत डालें.
सर्वांगासन का समय : सर्वांगासन को आप अपने सामर्थ्य अनुसार आधे मिनट से 5 मिनट तककर सकते हैं. शुरुआत में थोड़ा असहज होंगे, लेकिन निरंतर अभ्यास से आप अपने समय को बढ़ा भी सकते हैं. सर्वांगासन करते समय अंतःकुंभक करें एवं पूर्ण आसन पर स्वाभाविक श्वसन प्रक्रिया को चलने दें.
सावधानी : हाइ ब्लडप्रेशर, हृदय विकार से पीड़ित व्यक्ति किसी योग्य योग गुरु की देख-रेख में ही सर्वांगासन को करें. सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क एवं यकृत के विकारों से पीड़ित व्यक्ति सर्वांगासन न करें. इससे उनको नुकसान हो सकता है.
अर्द्धचंद्रासन :
दोनों पैरों के बीच लगभग ढाई फुट की दूरी रखते हुए खड़े हों और हाथों को जमीन के समानांतर, कंधे की सीध में रखें. अब दाहिनी ओर झुकते हुए दाहिने घुटने को मोड़ें और संतुलनपूर्वक पूरे शरीर का भार दाहिने पैर पर रखते हुए बायें पैर को इतना उठाएं कि दाहिनी हथेली जमीन से सट जाएं. बायें हाथ को बायीं तरफ कमर के समानांतर रखें और इस स्थिति में लगभग 20 सेकेंड तक रुकें. उसके बाद धीरे-धीरे अपनी मूल स्थिति में आ जाएं. यह एक चक्र हुआ. अब पूरे शरीर का भार बायें पैर पर रखते हुए यही प्रक्रिया दुहराएं.
सावधानी : पूरी प्रक्रिया के दौरान सांस सहज रूप से ही चलने दें.
सेतुबंधासन
पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ लें. घुटने और पैर एक सीध में रखें. दोनों पैरों के बीच लगभग 10 इंच का फासला हो. हाथ शरीर से सटे हुए और हथेलियां जमीन पर रखें. सांस लेते हुए धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को जमीन से उठाएं. धीरे से अपने कंधों को अंदर की ओर ले जाएं. ठोड़ी को हिलाये बिना छाती को ठोड़ी से लगाएं. इस दौरान शरीर के निचले हिस्से को स्थिर रखने की कोशिश करें.
दोनों जांघें एक साथ रखें. चाहें तो इस दौरान आप अपने हाथों के सहारे शरीर के ऊपरी हिस्से को उठा सकते हैं. अपनी कमर को अपने हाथों का सहारा भी दे सकते हैं. आसन को 1-2 मिनट बनाये रखें और सांस छोड़ते हुए आसन से बाहर आ जाएं.
सावधानी : कमर और गर्दन दर्द होने पर ये आसन न करें.