बच्चो में अस्थमा का पूरा इलाज है संभव, जानें अस्थमा के कारण और उपचार
II डॉ रागिनी ज्योति II बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना अस्थमा (दमा) ऐसी स्थिति है, जो व्यक्ति के श्वसन नली को प्रभावित करती है. अस्थमा से ग्रसित बच्चे के लिए सांस लेना कठिन हो जाता है, क्योंकि बच्चों की श्वसन नली संवेदनशील होती है. अस्थमा लंबे समय तक बने रहने वाली सामान्य स्थिति […]
II डॉ रागिनी ज्योति II
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना
अस्थमा (दमा) ऐसी स्थिति है, जो व्यक्ति के श्वसन नली को प्रभावित करती है. अस्थमा से ग्रसित बच्चे के लिए सांस लेना कठिन हो जाता है, क्योंकि बच्चों की श्वसन नली संवेदनशील होती है. अस्थमा लंबे समय तक बने रहने वाली सामान्य स्थिति है, जिसे अधिकतर बच्चों में प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है. समय से इलाज हो और कुछ सावधानियां बरती जायें, तो युवा अवस्था तक बच्चा पूरी तरह ठीक हो जाता है.
अस्थमा के कारण : बच्चों में एक से ज्यादा कारणों से अस्थमा की शिकायत होती है. प्रदूषण व ठंड से स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है. शरीर में ऑक्सीजन की कमी से भी सांस लेने में तकलीफ होती है. भारी सामान उठाने से, सीढ़ियां चढ़ने से, अत्यधिक भाग-दौड़ करने से, सांस लेने में समस्या हो सकती है. इसके अलावा हवा श्वसन मार्ग या छाती में संक्रमण (सर्दी, फ्लू), अस्थमा और एलर्जी का पारिवारिक इतिहास, घर में धूम्रपान करना, घर की धूल और धूल के जीवाणु, जन्म के समय नवजात का वजन कम होना (2 किलो से कम), प्रीमेच्योर बर्थ, भोजन में उपस्थित एलर्जिक तत्व और फूलों के परागकण भी कारण हो सकते हैं.
तीव्र या मंद हो सकते हैं लक्षण : बच्चों में अस्थमा के लक्षण मंद या तीव्र हो सकते हैं. लगातार खांसी, सांस लेते समय सीने में दर्द, छाती में दबाव, हांफना, सांस फूलना, व्हीजिंग, सांस छोड़ते समय छाती में सीटी जैसी आवाज आना और बच्चे में ऊर्जा की कमी होना अस्थमा के मुख्य लक्षण हो सकते हैं. अगर ये लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं. जांच (शारीरिक) : स्पिरोमेट्री, पीक एक्स्पिरेटरी फ्लो रेट टेस्ट, एलर्जी की जांच, पलमोनरी फंक्शन टेस्ट आदि.
हर्षवर्धन (3 साल) को 10 दिनों से खांसी थी. सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और सांस लेते समय छाती से सीटी की आवाज आ रही थी. ये अस्थमा के लक्षण हैं. लक्षणों को देखने के पर उसको ARSENIC ALBUM 30 होम्योपैथिक दवा दी और साथ में ठंडे वातावरण और ठंडे भोज्य पदार्थों- जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करने को कहा तथा बदलते मौसम के हिसाब से अतिरिक्त ख्याल रखने को कहा. कुछ दिनों में उसकी स्थिति में सुधार आने लगा.