खून की कमी और लू से बचाता है आम, जानें औषधीय उपयोग
नीलम कुमारी , टेक्निकल ऑफिसर झाम्कोफेड आम यानी फलों का राजा. गर्मी में यह आसानी से उपलब्ध होता है. इसका कच्चा और पका दोनों फल उपयोगी होता है. आम का फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है़. इसमें विटामिन ए, सी और डी अत्याधिक मात्रा में पाया जाता है़. इसमें उपलब्ध विटामिन ए बाहरी विष […]
नीलम कुमारी , टेक्निकल ऑफिसर झाम्कोफेड
आम यानी फलों का राजा. गर्मी में यह आसानी से उपलब्ध होता है. इसका कच्चा और पका दोनों फल उपयोगी होता है. आम का फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है़. इसमें विटामिन ए, सी और डी अत्याधिक मात्रा में पाया जाता है़. इसमें उपलब्ध विटामिन ए बाहरी विष व रोगों के कीटाणुओं के प्रभाव को रोकता है. विटामिन सी चर्म रोग दूर करता है़ विटामिन डी दांतों व हड्डियों को मजबूत बनाता है़ इसके प्रयोग से तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है़ खून साफ होता है़ आम को रसाल, आम्र, आंबो, मैंगो आदि नामों से जाना जाता है़ इसका वानस्पतिक नाम मैंनगीफेरा इंडिका है. यह एनाकारडिएसी परिवार का पौधा है.
ऐसे करें पहचान
आम का पेड़ 30-40 फीट ऊंचा होता है. पत्ते पांच से छह इंच लंबे और एक से दो इंच चौड़े होते हैं. फूल हरे, पीले मंजरी के रूप में सुंगधित व बसंत ऋतु में लगता है़ फल दो से पांच इंच लंबा, कच्चा में हरा और पकने पर हरा, पीला या लाल रंग का हो जाता है. फल के अंदर बड़ी सी गुठली होती है. गुठली के अंदर बीज मज्जा होती है़ फल ग्रीष्म ऋतु में लगता है. इसकी दो जातियां होती हैं बीज और कलमी. बीजू आम जंगलों में पाया जाता है़ इसका आकार छोटा होता है़ इसका प्रयोग अचार, अमसी, आमचूर पाउडर आदि बनाने में होता है़ कलमी आम बगीचों में लगता है़ इसका उपयोगी भाग छाल, पत्ता, फूल, फल और बीजमज्जा होता है.
औषधीय उपयोग जानिए
छल, पत्ते, फूल, बीज मज्जा कफपित विकारों और पका हुआ फल वातपित विकारों में उपयोगी है़ छाल, फूल, पत्ते व बीज मज्जा खून के बहने, घाव, अतिसार, दस्त आदि में उपयोगी है़ कृमि में इसका बीज मज्जा का चूर्ण उपयोगी है़ लू लगने पर इसके कच्चे फलों को आग में पकाकर उसका शरबत तैयार कर प्रयोग किया जाता है़ इसके पत्तों का धुआं लेने से कंठ की सूजन दूर होती है. यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है़.
लू लगने पर : इसके कच्चे फलों को भून कर या आग में पकाकर रात भर खुले स्थान पर रख दिया जाता है़ सुबह इसके गुद्दा से शरबत बना कर इसमें भुना जीरा, नमक, काली मिर्च डाल कर पीने से लू नहीं लगता है. अनावश्यक प्यास नहीं लगती है़ ताजगी बनी रहती है़
अतिसार व दस्त : इसके पत्तों को छांव में सूखा कर पीस लिया जाता है़ इस चूर्ण को दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए. इसकी गुठली से चूर्ण बना कर शहद के साथ प्रयोग करना चाहिए.
फोड़ा होने पर : इसके पेड़ से निकले वाले गोंद को गर्म कर फोड़ा पर लेप किया जाता है़ इससे फोड़ा फूट कर ठीक हो जाता है़.
खून की कमी : पके हुए मीठे आम का ताजा रस एक कप गाय का दूध, एक चम्मच घी और अदरक का रस मिला कर प्रयोग करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है़.
पाचन क्रिया : इसके कच्चे फलों को आग में पकाकर गुड़ के साथ मिला कर इसका शरबत बनाया जाता है़ इस शरबत को पीने से पाचन क्रिया ठीक होती है़.
नोट: चिकित्सीय परामर्श के बाद ही उपयोग करें