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कामवाली बाई
II सौम्या ज्योत्सना II एक दिन मैंने अपने घर में काम करने वाली बाई से पूछा,”आंटी आप कितने घरों में काम करती है”? उन्होंने कहा,”मैं पांच घरों में काम करती हूं. मैंने पूछा-’’एक घर से आपको कितने रुपये मिलते है?’’ ‘’हर घर से एक जैसे रुपये नहीं मिलते बिटिया. एक घर से 1000 तो, दूसरे […]
II सौम्या ज्योत्सना II
एक दिन मैंने अपने घर में काम करने वाली बाई से पूछा,”आंटी आप कितने घरों में काम करती है”? उन्होंने कहा,”मैं पांच घरों में काम करती हूं. मैंने पूछा-’’एक घर से आपको कितने रुपये मिलते है?’’
‘’हर घर से एक जैसे रुपये नहीं मिलते बिटिया. एक घर से 1000 तो, दूसरे घर से 800. इस तरह कुल मिला कर महीने के 6000 कम लेती हूं. एक बेटा है, जो छोटा-मोटा काम करता है. थोड़ी-बहुत उसकी भी कमाई हो जाती है.’’
मैंने फिर पूछा,”हर घर में काम करते हुए आपको एक-डेढ़ घंटा तो लग ही जाता होगा न ? फिर घर पर जाते-जाते तो आप थक जाती होंगी. घर के भी काम तो आपको ही निबटाने पड़ते होंगे.’’
इस पर उन्होंने कहा-’’नहीं बेटा, घर पर मेरी बेटी रहती है. वह घर के सारे काम करके रखती है. खाना भी बना देती है.’’ मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि उनकी बेटी तो मात्र 12 साल की ही है.
वह इतना काम कैसे कर सकती है और अगर वह सारा काम करती है, तो फिर वह स्कूल कब जाती होगी. मैंने पूछा. आंटी ने बताया- ‘’हमारे बच्चे तो 5 साल से ही काम करने लग जाते है बिटिया. इतनी कमाई में दो वक्त खाने का गुजारा तो मुश्किल से चलता है.
पढ़ाने-लिखाने के पैसे कहां से लायेंगे? सरकारी स्कूल में नाम लिखा तो रखा है, पर उसमें पढ़ाई कहां होती है. वैसे भी अंत में तो उसकी शादी ही करनी है. इसी वजह से मैं अभी ज्यादा घरों में काम करती हूं, ताकि कुछ सालों बाद जब उसकी शादी करूं, तब तक कुछ तो पैसे बचा पाऊं.’’
मैंने कहा-’’आप यह गलत कर रही हैं. आपको उसे पढ़ना चाहिए. आप भले ही यहां आधे घंटे काम करें, जिससे कि आप जल्दी घर पहुंच सकें, पर आपको उसे पढ़ना चाहिए. अगर वह पढ़-लिख कर कुछ बन जाती है, तो कल को केवल आपको ही नहीं पूरे समाज को उसपर नाज होगा.
क्या आप चाहेंगी कि वह भी कल को आपकी ही तरह यूं घरों में घूम-घूम कर झूठा धोने का काम करें?’’ ‘’नहीं बिटिया, हम ऐसा कभी नहीं चाहते, पर हमारी भी मजबूरी है.’’
‘’अगर आपको कोई परेशानी नहीं है, तो उसे कल से मेरे पास भेज दें. मैं उसे घर पर पढ़ा दूंगी. ताकि उसे दिक्कत नहीं हो. तो बताएये आपने क्या सोचा है?’’
आंटी ने कहा- ‘’हां बेटा, अगर आप उसे घर पर पढाने के लिए तैयार हैं, तो मैं उसे जरूर भेज दूंगी आपके पास. आपने सही कहा. मैं अपनी बेटी को अपने जैसा नहीं बनाने दूंगी. आज ही से मैं उसे आपके पास पढ़ने के लिए भेजूंगी, ताकि उसे अपनी पढाई पूरी करने में कोई दिक्कत नहीं हो. मेरी बेटी भी पढ़ेगी. पढ़ कर अफसर या टीचर बनेगी.’’
मुझे खुशी थी कि मैंने एक लड़की की जिंदगी को बर्बाद होने से बचा लिया. क्या आपने कभी आपनी कामवाली बाई से ये सब पूछा है?…….
इमेल : saumyajyotsna@
gmail.com
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