International Yoga Day: डायबिटीज और आंखों के लिए इतनी फायदेमंद है यह आसान योग मुद्रा, जानें
21 जून को सारी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनायेगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र को सितंबर 2014 में दिये सुझाव के बाद 21 जून 2015 को पहली बार पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया गया. योग का हमारे जीवन में क्या स्थान रखता है, यह ‘योग’ शब्द का अर्थ समझ कर ही जाना […]
21 जून को सारी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनायेगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र को सितंबर 2014 में दिये सुझाव के बाद 21 जून 2015 को पहली बार पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया गया.
योग का हमारे जीवन में क्या स्थान रखता है, यह ‘योग’ शब्द का अर्थ समझ कर ही जाना जा सकता है. स्वस्थ जीवन जीने की कला को योग कहते हैं. योग के दो अर्थ होते हैं- जोड़ना और समाधि. योग में दोनों अर्थ समाहित हैं. जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ेंगे, समाधि तक पहुंचना संभव नहीं.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज हम जानेंगे डायबिटीज और आंखों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए लाभाकारी योगासन प्राण मुद्रा के बारे में.
प्राण मुद्रा सबसे आसान योगासनों में से एक है. इस आसन में आपको अपनी कनिष्ठा, अनामिका और अंगूठे के शीर्ष को मिलातेहुए शेष अंगुलियां सीधी रखनीहोती है. धीमी, लंबी और गहरी सांस के साथ यह आसन 45 मिनट प्रतिदिन करना चाहिए.
प्राण मुद्रा के लाभ के बारे में आइए जानें-
डायबिटीज में लाभदायक
मधुमेह के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने में यह लाभ देता है. लंबे समय तक अभ्यास किया जाये, तो प्राण मुद्रा से इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में बनना शुरू भी हो सकता है.
आंखों के लिए
हम 80 प्रतिशत ज्ञान आंखों से ही ग्रहण करते हैं. टेलीविजन, कंप्यूटरऔर स्मार्टफोन की वजह से आंखें जल्दी ही थक जाती हैं. प्राण मुद्रा, नेत्र रोगों में भी विशेष लाभकारी है. छह महीने के नियमित अभ्यास से चश्मा भी उतर सकता है.
मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से बचाये
बदलते मौसम में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप के साथ कई तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती हैं. इनसे बचने और निजात पाने, दोनों के लिए प्राण मुद्रा लाभकारी है. इससे शरीर में कफ और अग्नि तत्व का संतुलन स्थापित होता है. यह मुद्रा हमारी प्रतिरोधकतंत्र को सशक्तबनाती है.
और भी हैं फायदे
प्राण मुद्रा से एकाग्रता बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है और रक्त वाहिनियों के अवरोध दूर होते हैं. यह मुद्रा बोलने की क्षमता बढ़ाती है. आशा, स्फूर्ति और उत्साह का संचार करती है. प्राण मुद्रा विटामिनों की कमी को दूर करती है और साधक को दीर्घायु बनातीहै.