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एनआरआइ से शादी करने वाली महिलाओं के लिए तीन कानूनों में बदलाव, जानें

प्रस्ताव अगले सप्ताह कैबिनेट में भेजा जाएगाएनआरआइ से शादी का पंजीकरण सात दिन में होगा अनिवार्य नयी दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा है कि केंद्रीय कानून मंत्रालय ने तीन केंद्रीय कानूनों के प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दी है जिनका मकसद अनिवासी भारतीयों (एनआरआइ) से शादी करने वाली […]

प्रस्ताव अगले सप्ताह कैबिनेट में भेजा जाएगा
एनआरआइ से शादी का पंजीकरण सात दिन में होगा अनिवार्य

नयी दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा है कि केंद्रीय कानून मंत्रालय ने तीन केंद्रीय कानूनों के प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दी है जिनका मकसद अनिवासी भारतीयों (एनआरआइ) से शादी करने वाली ऐसी महिलाओं को राहत दिलाना है जिन्हें वैवाहिक कलह का सामना करना पड़ रहा है.

श्रीवास्तव ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन अगले हफ्ते कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन तीन केंद्रीय कानूनों – विवाह अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम और अपराध प्रक्रिया संहिता – से जुड़े हैं. इन संशोधनों का मकसद वैवाहिक कलह से एनआरआइ पतियों की पत्नियों को बचाना है.

सचिव ने कहा कि विवाह अधिनियम का संशोधन इसलिए किया जाएगा ताकि एनआरआइ शादियों का अनिवार्य पंजीकरण सात दिनों के भीतर हो जाए. ऐसा नहीं करने पर एनआरआइ को पासपोर्ट और वीजा से इनकार करने या उन्हें रद्द करने का प्रावधान होगा. इसी तरह, पासपोर्ट अधिनियम में संशोधन किया जाएगा ताकि सरकार को ऐसे एनआरआइ पति का पासपोर्ट जब्त करने का अधिकार मिले जो अपनी पत्नी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देने के लिए अदालत में पेश नहीं होता.

अपराध प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर उस एनआरआइ पति को अदालत द्वारा जारी सम्मन तामील कराने का प्रावधान किया जाएगा जिस पर अपनी पत्नी को छोड़ने या उसे बेहतर तरीके से नहीं रखने के आरोप हों. ऐसे मामलों में सम्मन को विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा.

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