ऑस्टियोपोरोसिस है महिलाओं के लिए बड़ा खतरा, जानें लक्षण के बारे में

डॉ रागिनी ज्योति बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें कैल्शियम की कमी के कारण हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. हालांकि, इस रोग का प्रमुख कारण कुपोषित आहार है, जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो. साथ ही व्यायाम की कमी के कारण भी यह समस्या देखने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2018 10:20 PM
डॉ रागिनी ज्योति
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें कैल्शियम की कमी के कारण हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. हालांकि, इस रोग का प्रमुख कारण कुपोषित आहार है, जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो. साथ ही व्यायाम की कमी के कारण भी यह समस्या देखने को मिलती है.
आंकड़ों के अनुसार 15 प्रतिशत लोगों में यह समस्या 50 साल की उम्र के बाद और 70 प्रतिशत लोगों को यह 80 साल की उम्र के बाद होती है. इससे केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी प्रभावित होते हैं. लेकिन महिलाओं में इसके मामले अधिक देखने को मिलते हैं. इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार विश्व में करीब 20 करोड़ महिलाएं इस रोग से प्रभावित हैं.
महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस : महिलाएं, पुरुषों की तुलना में हड्डी के द्रव्यमान को अधिक तेजी से खो देती हैं, जो बाद में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को जन्म देता है. दरअसल, हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं.
लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल्स नष्ट होने लगते हैं. इस वजह से हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण जल्दी दिखायी नहीं देते हैं. महिलाओं का शरीर अपेक्षाकृत कमजोर होता है, इसलिए कई बार मामूली से चोट भी हड्डी टूट जाती है.
कारण : खानपान में प्रोटीन, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से यह रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. महिलाओं में इस बीमारी के होने का कारण उनका पहनावा भी है. दरअसल, महिलाएं घर में अधिक रहती हैं और बाहर निकलती भी हैं, तो पूरे कपड़ों में. इससे वे सूर्य की रोशनी से मिलने वाले विटामिन-डी से महरूम रह जाती हैं. इसकी कमी से शरीर भोजन से मिलनेवाले कैल्शियम को नहीं सोख पाता और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.
कई बार रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी होने से अस्थि में खनिज का घनत्व कम होने लगता है. ऐसे में 40 वर्ष के बाद ही महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. आनुवंशिक समस्या भी कारण हो सकती है. अधिक धूम्रपान, अल्कोहल आदि के चलन से दिनचर्या का खराब होना, अधिक सॉफ्ट ड्रिंक पीना व नमक का सेवन भी कारण है. हड्डियों का सघन होना केवल 30 साल तक ही संभव है. उसके बाद हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है.
लक्षण : आरंभिक स्थिति में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखायी देते, लेकिन जब कोई मामूली-सी चोट लग जाने पर भी हड्डी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत है.
इस बीमारी में शरीर के जोड़ों जैसे- रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर होता है. मरीज को थकान जल्दी महसूस होती है, शरीर में बार-बार दर्द होता है, खासकर सुबह के समय कमर में दर्द. शुरुआती अवस्था में तो हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है, लेकिन धीरे-धीरे दर्द बढ़ जाता है. खासतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का-सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है. इसके जोखिम से बचने के लिए पचास साल की आयु के बाद डॉक्टर नियमित अंतराल पर एक्स-रे और बीएमडी टेस्ट करानी चाहिए.
बचाव : कैल्शियम और विटामिन-डी युक्त आहार लें. सुबह की धूप में 30 मिनट तक बैठें. इससे शरीर को विटामिन-डी की पूर्ति होती है. धूप में बैठना संभव न हो, तो विटामिन डी की जांच करवा कर डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लें. नियमित रूप से वजन उठाने वाले व्यायाम करें. आप दौड़ना, तेज चलना, नृत्य, टेनिस, बैडमिंटन और क्रिकेट आदि से भी जुड़ें. अत्यधिक कैफीन युक्त पेय पदार्थ, जैसे कॉफी और चाय से बचें. कैल्शियमयुक्त आहार जैसे-दूध, दही और पनीर लें. रोजाना डाइट में सोयाबीन, टोफू, मछली, दाल, पालक और दूध को शामिल करें. 30 साल की आयु के बाद समय-समय पर किसी अच्छे डॉक्टर से जांच कराते रहें.

Next Article

Exit mobile version