प्लास्टिक सर्जरी पर यू-ट्यूब वीडियो भ्रांतियां फैला रहे हैं : अध्ययन
वाशिंगटन : चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी की प्रक्रिया के यू-ट्यूब वीडियो के आकलन के लिये किये गए पहले अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनमें से अधिकतर भ्रामक विपणन अभियान के तहत गैर-योग्यताप्राप्त चिकित्सा पेशेवरों के द्वारा पोस्ट किये गए हैं. अमेरिका की रटगर्ज यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर बोरिस पासखोवर इस अध्ययन के प्रमुख […]
वाशिंगटन : चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी की प्रक्रिया के यू-ट्यूब वीडियो के आकलन के लिये किये गए पहले अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनमें से अधिकतर भ्रामक विपणन अभियान के तहत गैर-योग्यताप्राप्त चिकित्सा पेशेवरों के द्वारा पोस्ट किये गए हैं. अमेरिका की रटगर्ज यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर बोरिस पासखोवर इस अध्ययन के प्रमुख थे.
उन्होंने कहा कि लाखों लोग जो चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी पर जानकारी के लिये यू-ट्यूब का रूख करते हैं उन्हें गलत जानकारी मिलती है जिसमें इससे जुड़े जोखिमों या दूसरे विकल्पों की जानकारी नहीं होती.
पासखोवर ने कहा, ‘चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी को लेकर वीडियो मुख्य रूप से विपणन अभियान हो सकते हैं और हो सकता है उनकी मंशा पूरी तरह शिक्षित करने वाली न हो.’ शोधकर्ताओं ने सबसे ज्यादा देखे गए 240 वीडियो का अध्ययन किया जिन्हें कुल मिलाकर 16 करोड़ बार देखा गया था. ये वीडियो ‘‘ब्लेफारोप्लास्टी”, ‘‘आईलिड सर्जरी”, ‘‘डर्मल फिलर्स”, ‘‘फेसियल फिलर्स”, ‘‘ओटोप्लास्टी”, ‘‘इयर सर्जरी”, ‘‘फेसलिफ्ट”, ‘‘लिप अगमेंटेशन”, ‘‘नोज जॉब” आदि ‘कीवर्ड सर्च’ से मिलते हैं.
अध्ययनकर्ताओं ने इन वीडियो का आकलन ‘डिसर्न’ पैमाने पर किया जिसमें ऑनलाइन या अन्य मीडिया में प्रस्तुत चिकित्सा जानकारी का आकलन किया जिसमें जोखिमों, सर्जरी से इतर विकल्पों और दी गई जानकारी की प्रमाणिकता का अध्ययन किया जाता है.
शोधकर्ताओं ने इस बात का भी आकलन किया कि जिन लोगों ने यह वीडियो डाले थे वे क्या चिकित्सा पेशे से थे, मरीज थे या तीसरे पक्ष के थे. नतीजों में सामने आया कि अधिकतर वीडियो उन लोगों द्वारा डाले गए थे जो पेशेवर रूप से दिखाई गई प्रक्रिया के लिये योग्य नहीं थे. इनमें से 94 वीडियो ऐसे लोगों ने पोस्ट किये थे जिनका चिकित्सा पेशे से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था.