मां के साथ हिंसा का असर भी पड़ता है गर्भस्थ शिशु पर
दिल्ली के फोग्सी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जयदीप मलहोत्रा ने बताया है कि हमारे दिन की शुरुआत चिंता से होती है. ऑफिस, स्कूल जाते वक्त चिंता. बच्चा गर्भ में हैं और चिंता. यही कारण है कि जनसंख्या का 60 प्रतिशत लोग मोटापा, बीपी, सुगर, कैंसर, प्री-मैच्योर डिलिवरी के शिकार हो रहे हैं. देश बीमारियों की […]
दिल्ली के फोग्सी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जयदीप मलहोत्रा ने बताया है कि हमारे दिन की शुरुआत चिंता से होती है. ऑफिस, स्कूल जाते वक्त चिंता. बच्चा गर्भ में हैं और चिंता. यही कारण है कि जनसंख्या का 60 प्रतिशत लोग मोटापा, बीपी, सुगर, कैंसर, प्री-मैच्योर डिलिवरी के शिकार हो रहे हैं. देश बीमारियों की राजधानी बन रही है.
हर तीन में से एक मां के साथ हिंसा हो रही है. इसका असर सीधे गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है. शिशु को सब कुछ पता होता है. पहले लोग चेचक व प्लेग जैसी बीमारियों से मरते थे. लेकिन अभी सुगर, बीपी, मोटापा, कैंसर जैसे नन कम्निकेबुल डिजिज (गैर छुआछूत वाली बीमारी) से मर रहे हैं. हर कोई चिंता व तनाव में है. इसी को देखते हुए हमने अद्भुत मातृत्व प्रोग्राम की शुरुआत की है. झारखंड में भी डॉ शिवानी झा के नेतृत्व में कार्यक्रम हो रहे हैं.
प्रेग्नेंसी से तीन माह पूर्व व दो वर्ष तक महत्वपूर्ण : डॉ मल्होत्रा ने बताया कि इस प्रोग्राम के तहत हम गर्भवती माताओं को खुश रहने के तरीके बता रहे हैं. प्रेग्नेंसी के तीन माह पूर्व से लेकर बच्चे के जन्म के दो वर्ष बाद तक बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. भारतीय परंपरा में गर्भसंस्कार पहले से विद्यमान है. अर्थात गर्भावस्था के समय हम कैसे रहें. लेकिन हम अपनी संस्कृति भूल रहे हैं. सोच नीचे आ रही है. विदेशी अब हमें आकर बता रहे हैं. ऐसे में अद्भुत संस्कार प्रेरणा का काम करेगा. पूरे देश में फोग्सी यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. इसमें चिकित्सक के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों के कर्मियों, सहिया, दवा कंपनियां, दवा विक्रेता आदि को जोड़ रहे हैं.