नयी दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृत्यु के बाद अंगदान के मामलों में अंगदाता के आश्रित परिजनों को पांच लाख रुपये तक की सामाजिक सहायता देने का प्रस्ताव रखा है.
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (नोटो) के निदेशक डॉ वसंती रमेश ने कहा कि यह सामाजिक सहायता नकदी के रूप में नहीं बल्कि आश्रितों को चिकित्सा सहायता या शिक्षा के रूप में दी जाएगी.
राष्ट्रीय अंग प्रतिरोपण कार्यक्रम के तहत यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के विचाराधीन है. अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय मस्तिष्कीय रूप से मृत घोषित लोगों के अंग लिये जाने तक देखरेख के लिए एक लाख रुपये अस्पताल को देने पर भी विचार कर रहा है.
भारत में अंगदान की कम दर से चिंतित स्वास्थ्य मंत्रालय मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 (2011 में यथा संशोधित) में निकट परिजनों की परिभाषा में सौतेले माता-पिता, सौतेले भाई-बहन को भी शामिल करने पर विचार कर रहा है.
वहीं एक और महत्वपूर्ण फैसले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में अंग प्रतिरोपण कराने वाले विदेशी नागरिकों के लिए अस्पतालों की प्रतीक्षा सूची में पंजीकरण अनिवार्य करने का फैसला किया है.
इस तरह की खबरों के बाद यह फैसला लिया गया है कि कुछ निजी संस्थान उन्हें उपचार में प्राथमिकता देते हैं. अधिकारियों के मुताबिक पंजीकृत प्रतिरोपण केंद्र को क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (रोटो) को सूचित करना होगा और भारत में अंगदान चाहने वाले विदेशी नागरिकों की सूची नोटो के साथ पहले ही साझा करनी होगी.
रमेश ने कहा कि अगर किसी समय दान किये गये अंग को प्राप्त करने के लिए कोई भारतीय नहीं है तो विदेशी नागरिक को अंग दिया जा सकता है. विदेशी रोगियों में प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.