दुनिया भर की खूबसूरती समेटे है हिमाचल

रतन कुमार गुप्ता राहुल सांकृत्यायन ने लिखा है, सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां. घूमने के शौकीनों की तरह मुझे भी घूमने-फिरने का बड़ा शौक रहा है और मैंने कुछ समय पहले ही हिमाचल प्रदेश की यात्रा की है. इस खूबसूरत और आकर्षक हिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2018 10:19 AM

रतन कुमार गुप्ता

राहुल सांकृत्यायन ने लिखा है, सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां. घूमने के शौकीनों की तरह मुझे भी घूमने-फिरने का बड़ा शौक रहा है और मैंने कुछ समय पहले ही हिमाचल प्रदेश की यात्रा की है. इस खूबसूरत और आकर्षक हिल स्टेशन वाले राज्य की यादें मेरे जेहन में अब हमेशा के लिए कैद हो गयी हैं, जो भुलाये न भुलेंगी.

हिमाचल प्रदेश की खासियत है कि यहां गर्मियों के मौसम में ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती. वैसे निश्चित रूप से यहां घूमने के लिए सबसे बेहतर मौसम वसंत यानी कि फरवरी से अप्रैल के बीच का है. हिमाचल में कांगड़ा और सिरसा में तो लोगों के प्रागैतिहासिक काल में भी घाटी में रहने के प्रमाण मिले हैं. वेदों, महाभारत और कई प्राचीन साहित्य तक में हिमाचल के जीवन, यहां की संस्कृति और जगहों का वर्णन पढ़ने को मिलता है. मैं हिमाचल की यात्रा पठानकोट से किया. वैसे, हिमाचल के शिमला, पालमपुर और पपरोला स्टेशन बेहद लोकप्रिय हैं और ये देश के सभी हिस्सों से जुड़े हुए भी हैं.

पुरानी इमारतें ब्रिटिश वास्तुकला की मिसाल
शिमला राज्य की राजधानी है. यहां कई पुरानी इमारतें आपको शानदार ब्रिटिश वास्तुकला की याद दिला देंगी. इसकी खूबसूरती देखते बनती है. वहीं, व्यास नदी के दोनों ओर फैली कुल्लू घाटी की छटा मन मोह लेती है. यहां की खूबसूरती को आप अपने कैमरे में कैद किये बिना और यहां सेल्फी लिये बिना नहीं रह पायेंगे. इसके अलावा डलहौजी की सैर भी प्रकृति की अदभूत अनुभूति है. वैसे तो यहां मार्च से जून में घूमना अच्छा होता है, मगर यदि आपको हिमालय की सर्दियों का आनंद लेना है तो आप दिसंबर से फरवरी के बीच भी यहां पहुंच सकते हैं. तेजी से बहते झरने, हरे-भरे घास के मैदान और रंग-बिरंगे फूलों से सजीं घाटियां आपको पलकें तक नहीं झपकाने देंगी. चंबा डलहौजी से बस 50 किमी दूर है. यहां भी हिमालय की सुंदरता आंखों को बड़ा ही सुकून देती है. यहां के कई नक्काशीदार मंदिर भी देखने लायक हैं. इसके साथ ही धर्म -कर्म से जुड़ी अास्था के लिए कांगड़ा बेहद खास है. यहां कई मंदिर हैं, जिनका धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है. यह किसी स्वर्ग से कम नजर नहीं आता है.

पर्वतों की श्रृंखला है रोहतांग दर्रा
वहीं, रोहतांग का दर्रा बहुत ही प्रख्यात है. मनाली से इसकी दूरी करीब 150 किलोमीटर की है. केलोंग हाईवे पर यह 1111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पहुंचने पर हिमालय की विशाल पर्वत श्रृंखला ऐसा दिखाई प्रतीत होती है जैसे बांहे फैलाकर आपका स्वागत कर रही है.

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