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नयी एंटीबायोटिक ”न्यूरोडिजेनेरेटिव” बीमारियों से बचा सकती है : अध्ययन

वाशिंगटन : माइनोसाइक्लिन नाम की एंटीबायोटिक दवा कीड़ों में बढ़ती उम्र के दौरान बनने वाले प्रोटीन को रोककर उनके जीवनकाल को बढ़ा सकती है. यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है. बढ़ती उम्र में प्रोटीन जमा होने से मस्तिष्क संबंधी रोगों का खतरा पैदा हो जाता है, जिसमें एमियोट्रोफिक लेटरल अल्जाइमर, पार्किन्सन और स्लेरोसिस […]

वाशिंगटन : माइनोसाइक्लिन नाम की एंटीबायोटिक दवा कीड़ों में बढ़ती उम्र के दौरान बनने वाले प्रोटीन को रोककर उनके जीवनकाल को बढ़ा सकती है. यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है. बढ़ती उम्र में प्रोटीन जमा होने से मस्तिष्क संबंधी रोगों का खतरा पैदा हो जाता है, जिसमें एमियोट्रोफिक लेटरल अल्जाइमर, पार्किन्सन और स्लेरोसिस जैसे रोग शामिल हैं.

ई-लाइफ पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक माइनोसाइक्लिन जानवरों में बढ़ती उम्र के बावजूद प्रोटीन बनने की समस्या को रोकती है. कोशिका में प्रोटीन की संख्या उसके बनने और कम होने की दर से संतुलित होती है, जिसे प्रोटियोस्टेसिस कहा जाता है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, प्रोटियोस्टेसिस खराब हो जाती है.

अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च में स्नातक के छात्र ग्रेगरी सोलिस ने कहा, ‘बुजुर्गों में न्यूरोडिजनेरेटिव लक्षणों की पहचान कर प्रोटियोस्टेसिस बढ़ाकर जीवनकाल में वृद्धि कर पाना एक बड़ी कामयाबी होगी.’ सोलिस ने कहा, ‘हमने इस बात की जांच की कि क्या माइनोसाइक्लिन उन जानवरों में प्रोटीन को कम करके उम्र को बढ़ा सकती है, जिनका प्रोटियोस्टेसिस पहले ही खराब हो चुका है.’

अनुसंधानकर्ताओं ने सैनोरैडिटिस इलिगेंस (सी एलिगेंस) नाम के विकसित और कम विकसित कीड़ों का जीवनकाल बढ़ाने के लिए पहले 21 विभिन्न अणुओं पर यह परीक्षण किया. परीक्षण में सामने आया कि इन सभी अणुओं ने कम विकसित कीड़ों के जीवनकाल को बढ़ा दिया. इन कीड़ों पर सिर्फ माइनोसाइक्लिन नाम की दवा ने ही असर किया था.

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