दुनिया के हर धर्म में सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रेम, भाईचारा, सहनशीलता, सदाचार पर जोर दिया गया है. ईसा मसीह ने भी लगभग 2000 साल पहले जो उपदेश दिये, उसका सारांश भी लगभग यही है. उन्हीं ईसा मसीह की जयंती, क्रिसमस आज पूरी दुनिया मना रही है. शांति के दूत ईसा के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने तब. आइए जानें-
जैसे सूरज धर्म का पालन करनेवाले और अधर्मी, दोनों तरह के लोगों को रोशनी देता है, उसी तरह जो लोग तुम्हारे प्रति द्वेष की भावना रखते हैं, तुम उनसे भी प्रेम करो. जो तुम्हें सताते हैं, तुम उनके लिए भी प्रार्थना करो.
अपने परिजनों के प्रति मन में बैर-भाव त्यागकर ही तुम प्रार्थना करने या भेंट चढ़ाने के सच्चे हकदार बन सकते हो.
अगर कोई तुम्हारा कुर्ता लेना चाहता है, तो तुम उसे अपनी चादर भी उसे ले जाने दो. अगर कोई तुमसे उधार मांगे, तो उससे कभी मुंह न मोड़ो.
पराई स्त्री पर बुरी नजर डालना भी उतना ही गलत है, जितना किसी से साथ शारीरिक तौर पर व्यभिचार करना.
अगर तुम्हारी दाहिनी आंख तुन्हें ठोकर खिलाये, तो उसे निकालकर फेंक दो. तुम्हारे लिए यही अच्छा है कि भले ही एक अंग र्बबाद हो जाये, पर सारा शरीर नर्क में जाने से बच जाये.
अगर दाहिने हाथ से दान करते हो, तो बायें हाथ को भी इस बात का पता न लगने दो.
सब कहते हैं कहा जाता है कि झूठी शपथ न खाना, पर मैं कहता हूं कि कभी कोई शपथ न खाना. अपने सिर की भी शपथ न खाना, क्योंकि अपने सिर के एक भी बाल को तुम अपनी मर्जी से सफेद या काला नहीं कर सकते.
अगर कोई तुम्हारे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारता है, तो उसकी तरफ अपना दूसरा गाल भी फेर दो.
धरती के इस जीवन के लिए कभी धन-दौलत जमा न करो, जहां चोर उसे चुरा ले जाते हैं. अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करो, जहां चोर-लुटेरे का कोई भय नहीं.
कल की चिंता मत करो, कल का दिन अपनी चिंता खुद कर लेगा. आज के लिए आज का ही दुख काफी है. प्रभु से बस आज दिनभर की रोटी मांगो. तुममें से ऐसा कौन है, जो चिंता करके अपनी उम्र एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?