प्रेग्नेंसी में बार-बार उल्टी होना ठीक नहीं, बढ़ा रक्तचाप हो सकता है कारण, ऐसे रखें अपना ख्‍याल

डॉ दिव्या सुमन स्त्री रोग विशेषज्ञ, कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल, पटना गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने की पसंद में बदलाव आना, उबकी आना, उल्टी होना या खाने की इच्छा न करना एक आम समस्या है. सामान्य रूप से देखा जाये, तो करीब 50 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था में इसका सामना करती हैं. ये समस्याएं मुख्यत: गर्भावस्था की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 27, 2019 5:24 AM

डॉ दिव्या सुमन

स्त्री रोग विशेषज्ञ, कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल, पटना

गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने की पसंद में बदलाव आना, उबकी आना, उल्टी होना या खाने की इच्छा न करना एक आम समस्या है. सामान्य रूप से देखा जाये, तो करीब 50 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था में इसका सामना करती हैं. ये समस्याएं मुख्यत: गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही देखने को मिलती है और दूसरी तिमाही के कुछ दिनों में खुद-ब-खुद ठीक होने लगती हैं. ऐसा देखा गया है कि पहली बार मां बन रही महिलाओं में ये परेशानियां ज्यादा होती हैं.

अक्सर ये आम-सी दिखने वाली समस्याएं कई बार मां के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाती हैं और मां के साथ गर्भस्थ शिशु के पोषण पर बुरा प्रभाव डालती है. मां खाने से जी चुराती हैं और कई बार कुछ भी खाते ही उल्टियां करती हैं. कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि गर्भवती को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ती है. इसके कारणों में मां के शरीर में होनेवाले हाॅर्मोनल बदलाव प्रमुख हैं. कुछ खास तरह के हाॅर्मोन का रिसाव इस समस्या का कारण होता है, लेकिन सभी महिलाओं पर इसका एक जैसा असर नहीं होता है.

कुछ के लिए यह साधारण-सी समस्या होती है, तो कुछ को अस्पताल तक जाना पड़ता हैं. खासकर वे महिलाएं, जिन्हें Motion Sickness, sea sickness या mountain sickness की समस्या रही हो या फिर वो माइग्रेन से पीड़ित हों, उनमें यह समस्या ज्यादा देखने के लिए मिलती हैं. इसके अलावा देखा गया है कि जुड़वां बच्चों के साथ या अगर मां गर्भ से पूर्व मधुमेह की शिकार रही हो, तो वो इस समस्या का शिकार आसानी से होती है.

साथ ही पिछली प्रेग्नेंसी में उन्हें ऐसी शिकायत रही हो या फिर ‘मोलर प्रेग्नेंसी’ रही हो, तो इस बार अन्य महिलाओं की अपेक्षा आपको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

बार-बार उल्टी और खाने-पीने में कोताही से मां के शरीर में खनिज-लवण की कमी हो जाती है. इस समस्या को हाइपरइमेसिस ग्रेविडेरम कहा जाता है. यह मुख्य रूप से मोशन सिकनेस का ही रूप है. मां को उल्टी के साथ चक्कर आना, सिर दर्द, घबराहट, उलझन महसूस होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं. वैसे तो यह समस्या 20-21वें हफ्ते तक खत्म हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं को यह शिकायत पूरी गर्भावस्था में रह सकती है.

मल्टीपल प्रेग्नेंसी में भी हो सकता है ऐसा : हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कई अन्य समस्याओं का भी सूचक हो सकता है, जैसे- मल्टीपल प्रेग्नेंसी, मोलर प्रेगनेंसी, शरीर में थाइरॉइड हाॅर्मोन का असंतुलन, लिवर की किसी समस्या, कुछ संक्रमण जैसे कि एच पायलोरी की आशंका हो सकती है.

बढ़ा हुआ रक्तचाप एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है, शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों की कमी, जैसे- Pyridoyine या Zinc से भी यह तकलीफ हो सकती है.

बातचीत: सौरभ चौबे

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