Zero Tolerance for FGM : संकल्प और विरोध से ही रूकेगा महिलाओं का खतना, जानें क्या है प्रक्रिया

नयी दिल्ली : महिला सशक्तीकरण के तमाम दावों के बावजूद आज भी विश्व के कई इलाकों में महिला अधिकारों की धज्जियां उड़ायी जाती है, जिसके विरोध स्वरूप आज विश्वभर में Zero Tolerance day for FGM ( female genital mutilation) मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2019 1:13 PM

नयी दिल्ली : महिला सशक्तीकरण के तमाम दावों के बावजूद आज भी विश्व के कई इलाकों में महिला अधिकारों की धज्जियां उड़ायी जाती है, जिसके विरोध स्वरूप आज विश्वभर में Zero Tolerance day for FGM ( female genital mutilation) मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि यह लैंगिक असमानता का बहुत बड़ा उदाहरण है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में 20 करोड़ ऐसी जीवित महिलाएं हैं जिनका खतना हो चुका है. प्रतिवर्ष विश्वभर में 3.9मिलियन महिलाओं का खतना होता है, जो वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 4.6 मिलियन हो जायेगा. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गयी तो 2030 तक 68 मिलियन लड़कियां महिला जननांग के संक्रमण का शिकार हो सकती हैं.FGM यानी महिला जननांग को अवैज्ञानिक तरीके से काटे जाने का असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है और यह महिला अधिकारों का घोर उल्लघंन है. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक इस कुप्रथा को विश्वभर से समाप्त करने का लक्ष्य बनाया है.

क्या है FGM की प्रक्रिया

FGM की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है. पहले चरण में मादा जननांग के बाहरी भाग (clitoris) को पूरी तरह या आशंक रूप से काटकर हटा दिया जाता है. दूसरे चरण में योनि की आंतरिक परतों को भी काटकर हटाया जाता है. तीसरा चरण इन्फ्यूब्यूलेशन का होता है, जिसमें योनि द्वार को बांधकर छोटा कर दिया जाता है. चौथा चरण में भी वो तमाम क्रियाएं की जातीं हैं, जो जननांग को नुकसान पहुंचाती हैं. इससे प्रक्रिया का दुष्परिणाम सेक्स के दौरान और प्रसव के दौरान भी नजर आता है.

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