एटीएम कार्ड पर पेंटिंग बनाना जीवन का अहम पल

एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है. एक चित्रकार अपनी पेंटिंग के माध्यम से ऐसी बातों को कह जाता है जिसे बयान करना शायद आसान नहीं होता है. भारती दयाल ऐसी ही पेंटर हैं जिन्होंने अपने चित्रों के माध्यम से ही न जाने कितनी तरह के इमोशन को जाहिर किया है. पेश है सुजीत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2019 12:58 PM

एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है. एक चित्रकार अपनी पेंटिंग के माध्यम से ऐसी बातों को कह जाता है जिसे बयान करना शायद आसान नहीं होता है. भारती दयाल ऐसी ही पेंटर हैं जिन्होंने अपने चित्रों के माध्यम से ही न जाने कितनी तरह के इमोशन को जाहिर किया है. पेश है सुजीत कुमार से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

-सबसे पहले अपने बारे में बताएं. पेंटिंग की तरफ रुझान कैसे हुआ?
– मैं मूल रूप से समस्तीपुर जिले के काशीपुर की रहने वाली हूं. घर में पेंटिंग का माहौल शुरू से ही था. जब तीन साल की थी तब से ही घर में पेंटिंग काे देखती थी. तब घर में दादी कई तरह की पेंटिंग्स को करती रहती थी. मैं उसे देखती रहती थी. पहला रुझान तब से ही हुआ. नानी अरिपन बनाती थी. नागपंचमी, हाेली व राधाकृष्ण की तस्वीर बनाती थी. मैं उनको देखती रहती थी. वहीं से आर्ट की तरफ रुझान हो गया.

-आप पेंटर हैं. दूसरों की पेंटिंग व घर के लोगों की पेंटिंग में आपको क्या खास दिखा?
– हर पेंटर की अपनी एक सोच होती है. वह उसी के अनुसार कार्य करता है. कोई रंगों से प्रयोग करता है तो कोई इमोशन को देखता है. जहां तक मेरे घर में होने वाली पेंटिंग की बात है तो मैंने इसमें ऑनेस्ट इमोशन देखती थी. वह मुझे शुरू से आकर्षित करता था.

-पेंटिंग ही करनी है? यह सोच शुरू से था या फिर आपने बाद में इसके बारे में सोचा?
– पहले पेंटिंग मेरी हॉबी थी. वैसे मेरी पढ़ाई साइंस से हुई. शादी हुई तो हसबैंड ने कहा, जॉब नहीं करना है. उन्होंने सपोर्ट किया. मैं पेंटिंग एग्जीबिशन में जाती थी तो वहां ऑनेस्ट इमोशन नहीं दिखता था. फिर मैंने उसपर सोचना शुरू किया कि क्यों न लोगों को ऑनेस्ट इमोशन पेंटिंग के माध्यम से दिया जाये. करीब 1987 में पेंटिंग करना शुरू कर दिया. तब घर से ही पेंटिंग शुरू की. आज भी घर से ही पेंटिंग कर रही हूं.

-आपको देश-विदेश के कई अवार्ड मिले, लेकिन कोटक महिंद्रा बैंक के एटीएम कार्ड पर मधुबनी पेंटिंग बनाना कितना अहम लगता है?
– कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने एटीएम कार्ड पर मधुबनी पेंटिंग को स्थान देकर आर्टिस्ट को सीधा रेस्पेक्ट दिया. वह मेरे लिए बहुत अहम है. दरअसल बैंक का यह एटीएम कार्ड प्लेटिनम सीरीज का है. जिनके एकाउंट में पांच लाख रुपये होंगे वहीं इसे रख सकते हैं. दरअसल 1990 के दौर में लोगों ने मेरे काम को पसंद किया. तब मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने की बात कही जाती थी. उसे बड़े कैनवास पर लाने की बात होती थी. तभी मैंने सोचा कि इसी क्षेत्र में बेहतर करना है. कोटक महिंद्रा बैंक के एटीएम के लिए पेंटिंग करना मेरे लिए बहुत अहम है.

-बिहार में नये पेंटर बेहतर कार्य कर रहे हैं? वे और बेहतर करें, इसके लिए उनको क्या-क्या पहल करने की जरूरत है?
– बिहार के चित्रकारों को नये जेनरेशन के साथ जुड़ना होगा. हमारे पेंटर बहुत बढ़िया कर रहे हैं. दूसरे देशों के लोगों ने माइकल एंजेलो, पिकासो के बारे में लिखा है. हमारे यहां के भी जीतने कलाकार हैं, उनके लिए भी लिखने की जरूरत है.

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