अश्वनी कुमार राय
पटना : बहुत कम लोगो को ही पता है कि मदर टेरेसा का कुर्जी अस्पताल से गहरा नाता रहा है. मदर टेरेसा ने बिहार के लिए भी काम किया. पीड़ितों, मानवता की सेवा व त्याग का उनका सफर बिहार की राजधानी पटना से शुरू हुआ था. पटना की 245 साल पुरानी ‘पादरी की हवेली’ में उनकी स्मृतियां आज भी जिंदा हैं. मदर टेरेसा ने पटना के होली फैमिली अस्पताल में नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया था. तब यह अस्पताल पादरी की हवेली में स्थित था. चर्च के लोगों बताते हैं कि वहां 1948 में 17 अगस्त से लेकर तीन माह रहीं थी. मदर टेरेसा ने जिस कमरे में रह कर प्रशिक्षण लिया था, उसमें उनकी स्मृतियां संरक्षित रखी गयी है.
वर्ष 1939 में बना था होली फैमिली अस्पताल, 1958 में कुर्जी में हुआ शिफ्ट
संयुक्त राज्य अमेरिका की मेडिकल मिशनरी सिस्टरों ने 1939 में पटना के बिशप सुलीवन के आग्रह पर पादरी की हवेली में होली फैमिली अस्पताल शुरू किया गया था. 1942 में उन्होंने एक नर्सिंग स्कूल भी आरंभ किया, जो मिडवाइफरी और फार्मेसी के स्कूल में विकसित हो गया. स्थानाभाव के कारण अस्पताल नवंबर 1958 में कुर्जी में गंगा तट पर अपनी नयी इमारत में आ गया. इसमें अनेक दाताओं ने मदद की, जिसमें पटना जेसुइट भी शामिल थे. कुर्जी होली फैमिली अस्पताल की मेडिकल मिशन सिस्टरों और सिस्टर्स चैरिटी ऑफ नाजरथ ने समान विचारों वाले धार्मिक समूहों और जेसुइटों के साथ मिलकर बहुआयामी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाला अस्पताल खोला.
मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी मदर टेरेसा ने
पादरी की हवेली में संचालित अस्पताल को बाद में कुर्जी में स्थानांतरित कर उसे आधुनिक व बड़ा रूप दिया गया. यह अस्पताल आज भी कुर्जी होली फैमिली अस्पताल के नाम से चल रहा है. अस्पताल के स्थानांतरण के बाद मदर टेरेसा 1963 में पादरी की हवेली में मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना कर अनाथों की मां बन गयी थीं.