Research: मीठा खाने से ही नहीं, प्रदूषित हवा में सांस लेने से भी होता है मधुमेह

बीजिंग: हम और आप आज तक यही जानते आये हैं कि शारीरिक श्रम कम करने, पूरी नींद नहीं लेने, अनियमित खानपान की आदतों, ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हम मधुमेह का शिकार हो सकते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषितहवा में सांस लेने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2019 8:02 PM

बीजिंग: हम और आप आज तक यही जानते आये हैं कि शारीरिक श्रम कम करने, पूरी नींद नहीं लेने, अनियमित खानपान की आदतों, ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हम मधुमेह का शिकार हो सकते हैं.

लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषितहवा में सांस लेने से भी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. जी हां, चीन में हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आयी है. मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है.

विश्व भर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अध्ययन का हवाला देते हुए बताया है कि विकासशील देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में विरले ही जानकारी दी गई, खासतौर से चीन में जहां पीएम 2.5 का स्तर अधिक है.

पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है. पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है.

चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लंबे समय तक पीएम2.5 के संपर्क में रहने और 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर मधुमेह के बीच संबंध का विश्लेषण किया.

शोध के नतीजों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम 2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का खतरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ गया. यह शोध पत्रिका एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है.

आपको पता होगा कि जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज (pancreas) में इंसुलिन (insulin) का पहुंचना कम हो जाता है, तो खून में ग्लूकोज (glucose) का स्तर बढ़ जाता है.

इस स्थिति को मधुमेह या डायबिटीज (diabetes) कहा जाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है. इसका काम शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है.

यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है. मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है. इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है.

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