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बिहार में तेजी से बढ़ रहे हनीमून किडनैपिंग के मामले, पुलिस परेशान

बिहार में हनीमून किडनैपिंग ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है. लड़की के गायब होने के बाद अपहरण का केस दर्ज हो रहा है. लेकिन, जब पुलिस मामले की तह में पहुंचती है, तो मामला शादी या प्रेम प्रसंग में खुद ही घर से भागने का निकल जाता है. बिहार पुलिस के आंकड़ों की मानें, […]

बिहार में हनीमून किडनैपिंग ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है. लड़की के गायब होने के बाद अपहरण का केस दर्ज हो रहा है. लेकिन, जब पुलिस मामले की तह में पहुंचती है, तो मामला शादी या प्रेम प्रसंग में खुद ही घर से भागने का निकल जाता है. बिहार पुलिस के आंकड़ों की मानें, तो हर साल प्रेम प्रसंग व शादी को लेकर अपहरण के केस में 10 से 25 फीसदी की लगातार बढ़ोतरी हो रही है. खास बात यह है कि शादी की नीयत से अपहरण या प्रेम प्रसंग के मामलों में गायब होने वाली लड़कियों में नाबालिगों की संख्या अधिक होती है.

ऐसे मामलों में बढ़ जाती है पुलिस की परेशानी

प्रेम प्रसंग या शादी की नीयत से अपहरण के ज्यादातर मामलों में लड़का – लड़की बिहार के बाहर से ही बरामद किये जाते है. उन्हें बरामद करने में पुलिस टीम को दूसरे राज्यों तक जाना पड़ता है. इससे पुलिस काे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पुलिस पर अक्सर लड़की की बरामदगी के लिए भारी दबाव रहता है.

हर साल हो रही इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी
2015 में प्रेम प्रसंग और शादी की नीयत से अपहरण के 4229 मामले सामने आये. जबकि 2016 में संख्या बढ़ गयी और 4653 मामले दर्ज किये गये. मसलन अगले साल पिछले साल की तुलना में 424 अधिक मामले अधिक आये. 2017 में 6217 मामले दर्ज कये गये. अगर 2016 से तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो 1564 मामलों की बढ़ोतरी हो गयी. इसी प्रकार, 2018 में करीब आठ हजार मामले दर्ज किये गये जो 2017 में दर्ज मामलों से दो हजार ज्यादा हैं. 2019 में मात्र जनवरी व फरवरी माह में ही 1159 मामले दर्ज किये जा चुके हैं. जबकि अभी पूरा साल बाकी है. अगर इसी अनुपात में मामले दर्ज होते रहें तो दस हजार से ज्यादा मामले इस साल दर्ज किये जा सकते हैं.

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट

साइकोलॉजिस्ट डा मनोज कुमार ने बताया कि आज माता-पिता व बच्चों के बीच में संवादहीनता की स्थिति हो गयी है. माता-पिता की हर बात खराब लगती है. माता-पिता भी अपने-अपने काम में काफी व्यस्त रहते हैं और बच्चों की समस्याओं को इग्नोर करते है. जिसके कारण वे धीरे-धीरे अपने परिवार से कटने लगते हैं और थर्ड पर्सन पर उन्हें ज्यादा विश्वास हो जाता हैं. इसके बाद तो वे गलत कदम उठाने से भी नहीं हिचकते हैं.

15 से 20 की उम्र की लड़कियां ज्यादा होती हैं गायब

पुलिस के पास जो मामले दर्ज होते है, उसमें अधिकतर 15 से 20 साल की लड़कियाें की संख्या ज्यादा होती है. एक अनुमान के मुताबिक 70 फीसदी संख्या इसी उम्र की लड़के-लड़कियों की होती है और 30 फीसदी की उम्र 20 से 30 साल के आसपास होती है. 30 साल से अधिक उम्र के लड़के- लड़कियों के घर से भागने की यदा-कदा ही सूचनाएं आती हैं.

स्मार्ट फोन ने समय से पहले ही बना दिया बालिग

इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च एंड सर्विस पटना विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर इफ्तेखार हुसैन ने बताया कि वेस्टर्न लाइफ स्टाइल अपनाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व साइट्स के आने के बाद नाबालिग लड़के – लड़कियां समय से पूर्व ही बालिगों जैसे समझदार हो जा रहे हैं. आज 15 साल के लड़के – लड़कियां भी हर चीज को समझ रही है. आज सबके पास स्मार्ट फोन है और उस पर हर चीज उपलब्ध है. इसके साथ ही माता-पिता को भी अपने बच्चों को देखने का समय नहीं है.

कब कितने मामले आये हैं सामने
वर्ष -मामले

2015-4229

2016-4653

2017-6217

2018-8000

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