गठिया रोग में ऐसे मिलेगा होमियोपैथी से लाभ
डॉ रागिनी ज्योति बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना यू रिक एसिड के बढ़ने की समस्या बढ़ रही है. जीवनशैली, खान-पान व दिनचर्या में बदलाव से पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिक एसिड (न्यूक्लिओटाइडो) में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं. अगर हमारे शरीर में 6% से […]
डॉ रागिनी ज्योति
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना
यू रिक एसिड के बढ़ने की समस्या बढ़ रही है. जीवनशैली, खान-पान व दिनचर्या में बदलाव से पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिक एसिड (न्यूक्लिओटाइडो) में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं.
अगर हमारे शरीर में 6% से ज्यादा यूरिक एसिड है, तो उसे हम यूरिक एसिड का बढ़ना कहते हैं. यूरिक एसिड छोटे-छोटे क्रिस्टल बना लेता है और शरीर के जोड़ों में छिप जाता है. यूरिक एसिड का नियत्रंण जरूरी है. समय पर उपचार न करने से जोड़ों का दर्द, गठिया रोग, किडनी स्टोन, डायबिटीज व रक्त विकार से जुड़े रोग हो सकते हैं.
निदान : यूरिक एसिड क्रिस्टल्स का पता करने के लिए प्रभावित जोड़ के द्रव का परीक्षण, यूरिक एसिड की मात्रा जानने के लिए रक्त परीक्षण, एक्स-रे, गठिया युक्त जोड़ के आरंभिक लक्षण देखने के लिए अल्ट्रासाउंड और ड्यूल एनर्जी कोम्प्युटेड टोमोग्राफी (ड्युअल एनर्जी CT) जांच की जाती है.
इलाज : गठिया धीरे-धीरे विकसित होता है और जोड़ों में गतिविधि होने पर दर्द, जकड़न, कॉन्ट्रेक्चर और जोड़ों के हिलने डुलने के कारण होता है. होम्योपैथिक उपचार प्रायः दर्द और गठिया में जकड़न को दूर कर सकता है.
कुछ आम होमियोपैथी दवाएं हैं- आर्निका, ओरम मेटालिकम, ब्रेयोनिया, कालकेरिया कार्बोनिका, कोस्टीकम, केलसेरिआ फ्लोरिका, डलकेमारा, काली बीचरुमीकम, काली कार्बोनिकम, कालमिआ लतिफ्लोरा, लेदम पल्यूस्ट्री, पलसाटीला, रोदोदेनद्रोन, रुस टोक्सीकोडेनड्रोन, रता ग्रेवियोलेंस. ये दवाएं लक्षण के आधार दी जाती हैं. कुछ दर्द से राहत, जोड़ों के दर्द, सोने की कोशिश, जागने पर परेशानी, जबकि अन्य तीव्र गाठिया दर्द में उपयोगी हैं. कुछ अध्ययनों में होम्योपैथिक उपचार गठिया दर्द के पारंपरिक औषधि की अपेक्षा अधिक प्रभावी सिद्ध हुआ है. होम्योपैथिक उपचार एकटामिनोफेन के संभावित दुष्प्रभावों से रहित है.
– लक्षण : जोड़ों में दर्द, उठने-बैठने में परेशानी, ऊंगलियों में सूजन, जोड़ों में गांठ की शिकायत, पैरों और हाथों की ऊंगलियों में चुभन वाला दर्द आदि समस्याएं देखी जाती हैं.
– कारण : खान-पान व खराब जीवनशैली यूरिक एसिड बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. – डायबेटिक लोगों में डायबिटीज की दवाओं से भी यूरिक एसिड बढ़ता है. – रेड मीट, सी फूड, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, मटर, पनीर, भिंडी, अरबी और चावल खाने से भी यूरिक एसिड बढ़ता है. – जो लोग व्रत रखते हैं, उनमें भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है. – अधिक एक्सरसाइज करने या वजन कम करने से भी यूरिक एसिड बढ़ सकता है. – ब्लड प्रेशर की दवाएं, पेन किलर्स और कैंसर रोधी दवाएं भी यूरिक एसिड बढ़ाती हैं.
– सावधानी : होम्योपैथिक उपचार आमतौर पर सुरक्षित हैं, लेकिन गठिया के इलाज शुरू करने से पहले हमेशा एक होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें. शुरू में कभी-कभी नियमानुसार दवा अस्थायी उत्तेजना या भड़कने के लक्षणों से प्रभावित हो सकती है.
पहले वे वास्तव में कम होंगे. होम्योपैथिक उपचार से एलर्जी प्रतिक्रियाओं के कारण (जैसे खरोंच) बन सकते हैं. यदि आप होम्योपैथी दवाएं ले रहे हैं, तो अपने एलोपैथिक चिकित्सक को सूचित करें या होम्योपैथिक उपचार शुरू करने से पहले परार्मश लें और अपने होम्योपैथिक चिकित्सक को सूचित करें कि आप होम्योपैथी की कोई दवा ले रहे हैं.