खान-पान की सही आदतों से अस्थमा को करें कंट्रोल

रूपाली कुमारी डायटीशियन, तलवल्कर्स, पटना अस्थमा गंभीर बीमारी है, लेकिन सही खान-पान और सही देखभाल से इस रोग को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. चूंकि, यह बीमारी मुख्य रूप से एलर्जी और संक्रमण के कारण होती है. इसलिए संयम और सुरक्षा ही इस बीमारी से निजात पाने के लिए अहम कारक हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2019 8:30 AM
रूपाली कुमारी
डायटीशियन, तलवल्कर्स, पटना
अस्थमा गंभीर बीमारी है, लेकिन सही खान-पान और सही देखभाल से इस रोग को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. चूंकि, यह बीमारी मुख्य रूप से एलर्जी और संक्रमण के कारण होती है. इसलिए संयम और सुरक्षा ही इस बीमारी से निजात पाने के लिए अहम कारक हैं.
बच्चों में यदि शुरुआत में ही इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाये, तो उनका पूर्ण इलाज संभव है. इस बीमारी में मुख्य रूप से कई तरह की एलर्जी के कारण श्वसन नलिकाओं में सूजन आ जाता है, जिससे वे सिकुड़ जाती हैं और सांस लेने में तकलीफ होती है.
वैसे यह कहना कि खास तरीके के खान-पान से अस्थमा पूरी तरह ठीक हो जायेगा, यह गलत है. हां, खान-पान को बेहतर बना कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. चूकि, यह एलर्जी या संक्रमण जनित रोग है, इसलिए संतुलित और पौष्टिक आहार से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे इस बीमारी के लक्षणों को काबू किया जा सकता है.
अस्थमा में यह भी ध्यान देने योग्य बात होती है कि रोगी को किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी तो नहीं है. जैसे कुछ लोगों को दूध, अंडा या मछली से एलर्जी हो सकती है. ऐसे में उनको एलर्जी की आशंका वाले आहार नहीं लेने चाहिए. हालांकि, यह कहना कि अस्थमा के हर रोगी को दूध, अंडा या फिर मछली से दूर रहना चाहिए यह एक मिथ है. ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं और इससे अस्थमा के रोिगयो लाभ पहुंचता है, पर इसका उपयोग दैनिक जरूरत के हिसाब से ही करें.
विटामिन और मिनरल्स हैं फायदेमंद :
रोगी को अपने आहार में ज्यादा मात्रा में फल और रही सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए. कई फलों और सब्जियों में विटामिन ए, विटामिन सी एवं एंटीऑक्सिडेंट्स पाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं. इनमें सूजन रोधी गुण होते है, जो फेफड़ों में सूजन होने से रोकता है. फलों एवं सब्जियों मे कैलोरी कम मात्रा में होती है. इससे आपके वजन में वृद्धि नहीं होती. गाजर, पपीता, सेब, अदरक, लहसुन, तीसी आदि को अपने नियमित आहार में उपयोग करना चाहिए.
– शामिल करें ओमेगा-3 : फैटी एसिड जैसे फ्लेक्स सीड यानी तीसी का उपयोग नियमित रूप से अपने आहार में करें. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आपके फेफड़ो और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. इसके अलावा मछली के तेल में भी ओमेगा-3 पाया जाता है. यह आपको अस्थमा के अटैक या दौरे से बचाता है.
– जैतून का तेल : इसमें जलनरोधी गुण होता है, जो अस्थमा के इलाज में बेहतरीन साबित होता है. इसे अपने सालाद में मिलाकर ले सकते हैं.
– लहसुन और अदरक : इनमें एलिसीन नामक एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो न सिर्फ शरीर में मौजूद फ्री रैडिकल्स से लड़ता है, बल्कि अस्थमा की समस्या से भी निजात दिलाता है. यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक है. अदरक को ग्रीन टी के साथ में उपयोग किया जा सकता है.
– कॉफी : यह ब्रोन्कोडायलेटर (bronchodialator) का काम करता है, जो सांस की नली को खोलता है. इससे सांस लेने में आसानी होती है.
दूध, अंडा एवं मछली में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि लंग्स के मसल्स मजबूत करता है, जिससे सांस लेने में आसानी होती है. सुबह के धूप का प्रतिदिन सेवन भी अस्थमा रोगियों के लिए लाभकारी है, क्योंकि इसमें विटामिन डी पाया जाता है, जो फेफड़े के लिए फायदेमंद है.
विटामिन डी की डेफिशिएंसी आजकल कॉमन है, जिसके कारण लंग्स सहित शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचता है. अत: विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सूर्य की रोशनी में रहना जरूरी है. इसके अलावा कार्डियो एक्सरसाइज साइकिलिंग व ट्रेडमिल भी लाभकारी हैं.

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