दिल की बीमारी का पता लगाने में हो सकता है एमआरआई का इस्तेमाल
वॉशिंगटन : किसी स्वस्थ व्यक्ति और किसी हृदय रोगी दोनों के दिल कितना ऑक्सीजन इस्तेमाल करते हैं, इसका पता लगाने के लिये मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का प्रयोग किया जा सकता है. एक अध्ययन में यह जानकारी मिली है। अमेरिका में लॉसन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट और सेडार्स-सिनाई मेडिकल सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि पश्चिमी […]
वॉशिंगटन : किसी स्वस्थ व्यक्ति और किसी हृदय रोगी दोनों के दिल कितना ऑक्सीजन इस्तेमाल करते हैं, इसका पता लगाने के लिये मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का प्रयोग किया जा सकता है.
एक अध्ययन में यह जानकारी मिली है। अमेरिका में लॉसन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट और सेडार्स-सिनाई मेडिकल सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि पश्चिमी देशों में लोगों की मौत का एक प्रमुख कारण दिल की मांसपेशियों तक खून का कम प्रवाह भी है. मौजूदा समय में दिल तक खून के प्रवाह को मापने के लिये उपलब्ध नैदानिक परीक्षण के लिये ऐसे रेडियोधर्मी रसायनों या कंट्रास्ट एजेंट को इंजेक्शन के माध्यम से शरीर में पहुंचाना जरूरी होता है जो एमआरआई संकेत को बदले और रोग का पता लगाये.
इस परीक्षण में छोटे लेकिन कई खतरे हैं और गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को ऐसे परीक्षण कराने की सिफारिश नहीं की जाती है. लॉसन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के फ्रैंक प्रेटो ने कहा, ‘‘यह नया तरीका है। कार्डियक फंक्शनल एमआरआई (सीएफएमआरआई) के लिये शरीर के अंदर नीडल लगाने या इंजेक्शन के माध्यम से रसायनों को पहुंचाना जरूरी नहीं होता.” प्रेटो ने कहा, ‘‘इससे मौजूदा खतरों को कम करता है और सभी मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.”
प्रेटो ने कहा, ‘‘हमारी खोज में यह पता चला है कि हम दिल की मांसपेशियों की गतिविधि के अध्ययन के लिये एमआरआई का इस्तेमाल कर सकते हैं.”