यदि आप नेचर लवर्स हैं तो अगली बार अपनी छुट्टी कौसानी में जरूर बिताएं. प्राकृतिक सौंदर्य, मनोहारी दृश्य, हरियाली, हरी-भरी घाटियां और पर्वत की चोटियों को अपने में समेटे कौसानी एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है. इस जगह को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6075 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर बसा यह एक खूबसूरत हिल स्टेशन है. इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहा जाता है. इसकी खूबसूरती को देखकर महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है. इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक ‘अनासक्ति योग’ की रचना भी इसी शहर से की थी. चीड़ और देवदार के वृक्षों से घिरा यह नगर पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है.
कौसानी के कण-कण में है सौंदर्य
कौसानी के कण-कण में सौंदर्य बिखरा पड़ा है. यहां आकर उदासी और निराशा से भरे चेहरे भी खिल उठते हैं. दूर तक फैली घाटी, सघन वन शोख फूलों की बहार, बादलों की लुकाछिपी के बीच सरल जन जीवन सैलानियों का मन मोह लेता है. पर्यटकों के लिए कौसानी में घूमने के लिए कई जगहें और हैं, जहां पर्यटक आसानी से जा सकते हैं. एक तो वह घर जहां सुमित्रानंदन पंत का जन्म हुआ था, जिसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है. दूसरा है लक्ष्मी आश्रम, जिसे गांधी जी की शिष्या सरला देवी ने बनवाया था. कौसानी से आप ग्वालदम भी जा सकते हैं. ग्वालदम वह जगह है, जहां कुमाऊं और गढ़वाल आपस में मिलते हैं. यहां बहुत से सेब के बागान हैं. स्वर्ग से भी सुंदर कहे जाने वाले बेदनी बुग्याल तक जाने का रास्ता यहीं से शुरू होता हैं और अगर आप कहीं नहीं जाना चाहते तो सिर्फ कुदरत की गोद में आराम करना चाहते हैं तो कौसानी से बेहतर शायद कोई और जगह नहीं है.
रुद्रधारी फॉल्स
सीढ़ीदार पहाड़ी धान के खेतों और हरे-भरे ऊंचे-ऊंचे देवदार के घने जंगलों के बीचों बीच रुद्रधारी फॉल्स कमाल की खूबसूरती संजोये है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह आदि कैलाश है. यहीं भगवान शिव और विष्णु का वास था. यहां आने-जाने का रास्ता कठिन नहीं है. कौसानी के पास 12 किलोमीटर ट्रेकिंग करते-करते भी यहां पहुंच सकते हैं. ठंडे पानी का झरना काफी ऊंचाई से गिरता है.
अनासक्ति आश्रम
अनासक्ति आश्रम को ही गांधी आश्रम के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि 1929 के आसपास महात्मा गांधी आश्रम में दो हफ्ते रहे थे. इसी दौरान, उन्होंने ‘अनासक्ति योग’ पर एक किताब लिखी थी. आश्रम के एक हिस्से में म्यूजियम भी है.
टी इस्टेट जरूर जाएं
कौसानी का जलवा देखना चाहते हैं तो टी एस्टेट जरूर जाएं. यहां लोग खुद को कुदरत के एकदम करीब महसूस करते हैं. चाय के बागान करीब 210 हेक्टेयर एरिया में फैले हैं. चाय पीने के शौकीनों के लिए तो कमाल की जगह है. यहां किस्म-किस्म की चाय पत्तियां उगायी जाती हैं. यहां की बेस्ट चाय पत्ती ‘गिरियास टी’ है जिसकी खेती यहीं होती है. इसके अलावा ऑर्गैनिक टी भी मिलती है. कुछ चाय पत्तियां तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और कोरिया तक एक्सपोर्ट की जाती हैं.
ऐसे पहुंचे कौसानी
दिल्ली से कौसानी सड़क मार्ग से जुड़ा है और इसकी दूरी करीब 410 किलोमीटर है. दिल्ली से कौसानी पहुंचने में करीब 9-10 घंटे का वक्त लगता है. नैनीताल कौसानी 120 किलोमीटर दूर है, जबकि अल्मोड़ा से इसकी दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है. कौसानी का नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है. हालांकि, एयरपोर्ट भी करीब 180 किलोमीटर दूर है. नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जहां से अल्मोड़ा होकर कौसानी की दूरी 140 किलोमीटर के आस-पास है. मार्च से जून के बीच कौसानी घूमने-फिरने का बेस्ट सीजन है. फिर सितंबर से नवंबर का समय भी अच्छा है.
यहां कर सकते हैं आप स्टे
कौसानी में आधुनिक सुविधाओं से युक्त अनेक बढ़िया होटल, गेस्ट हाउस व रेस्तरां हैं. ट्रैकिंग के लिए यहां कई विशेष आकर्षण हैं और आसपास ऐसे कई रमणीक स्थान हैं जहां पहुंचकर आप अपने भ्रमण को यादगार बना सकते हैं. हजार वर्ष पुराने बैजनाथ के प्रसिद्ध मंदिर यहां से एक हजार किलोमीटर दूर हैं. गोमती और सरयू के संगम पर स्थित बागेश्वर कस्बा 26 किलोमीटर है.