48.3 प्रतिशत बच्चों के नाटेपन का कारण है कुपोषण
डॉ शिवानी दर, पोषण एक्सपर्ट, यूनिसेफबिहार में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. करीब आधे बच्चे इससे पीड़ित हैं. हाल ये है कि 48.3 प्रतिशत बच्चों के नाटेपन का कारण कुपोषण है. लंबे समय तक चला आ रहा कुपोषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंचाता है. पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में […]
डॉ शिवानी दर, पोषण एक्सपर्ट, यूनिसेफ
बिहार में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. करीब आधे बच्चे इससे पीड़ित हैं. हाल ये है कि 48.3 प्रतिशत बच्चों के नाटेपन का कारण कुपोषण है. लंबे समय तक चला आ रहा कुपोषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंचाता है. पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में सुधार हो रहा है पर अभी भी कुपोषण की दर काफी ज्यादा है. एनएचएफएस 4 के अनुसार भारत में 2 साल तक के 10 में से एक बच्चे को ही सही और पर्याप्त मात्र में भोजन मिल पाता है.
वही बिहार में केवल 7.5 प्रतिशत बच्चों को ही सही और पर्याप्त भोजन मिलता है. जो बच्चे अच्छे पोषण की स्थिति में होंगे वो ही आगे चलकर मानसिक और शारीरिक रूप से ज्यादा मजबूत होंगे और समाज में उनका योगदान बेहतर होगा. ऐसा होने पर ही वो गरीबी के कुचक्र से भी बाहर निकल सकते हैं. स्वस्थ और सुपोषित बच्चे ही भविष्य में आर्थिक रूप से सशक्त समाज का निर्माण करेंगे. ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट बताती है कि पोषण के क्षेत्र में 1 डॉलर का निवेश 16 डॉलर तक का रिटर्न देता है.
कुपोषण की जब भी बात होती है तो अक्सर ही कहा जाता है कि इसका कारण गरीबी है. निश्चित रूप से गरीबी सबसे बड़ा कारण है लेकिन इसके साथ ही दूसरा बड़ा कारण जागरूकता का अभाव भी है.
मुजफ्फरपुर में हुई बच्चों की मौत बताती है कि बिहार में कुपोषण कितनी बड़ी समस्या है. इसे दूर करने के लिए सरकार के साथ ही समाज को भी आगे आना होगा. जब कम उम्र में लड़कियों की शादी होती है तो उनसे पैदा होने वाले बच्चे भी अक्सर कुपोषित रहते हैं. ज्यादा बच्चे होना, बच्चों में कम अंतर होना भी कारण हैं.
जागरूकता के कारण महिलाएं अपने शिशुओं को स्तनपान सही से नहीं कराती. छह महीने तक के शिशु को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए. लेकिन उसे भी कई बार आहार दे दिया जाता है. साथ ही फॉर्मूला मिल्क या गाय का मिल्क भी दे देते हैं. जबकि छह माह के बाद मां के दूध के साथ पूरक आहार देना चाहिए जिसे अक्सर ही काफी कम दिया जाता है. इससे बच्चे को जितनी खाने की मात्रा मिलनी चाहिए वह मिल नहीं पाती. अगर हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा कुपोषण से मुक्त हो तो उसे मांस, मछली, अंडा, हरी सब्जी, अनाज दे. हरी सब्जी नहीं खाने के कारण बच्चा एनिमिया का शिकार हो सकता है. बात शहरों की करें तो यहां जंक फूड के कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार बन रहे हैं. माता- पिता को चाहिए कि बच्चे को जंक फूड की जगह घर की बना पौष्टिक आहार दे.