नहीं टिक पा रहे हैं रिश्ते! ऑनलाइन जुड़ते रिश्तों की जांच ऑफलाइन करें
अक्सर हम सुनते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं. एक जमाने में शादी-विवाह के रिश्ते घर के बड़े-बुजुर्ग तय किया करते थे. पहले वे लड़का-लड़की को देखते थे़ कई लेवल पर इन्क्वायरी करते थे़ यदि उन्हें लगता था कि सबकुछ ठीक है तभी वे शादी के लिए हामी भरते थे़ लड़की पक्ष और […]
अक्सर हम सुनते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं. एक जमाने में शादी-विवाह के रिश्ते घर के बड़े-बुजुर्ग तय किया करते थे. पहले वे लड़का-लड़की को देखते थे़ कई लेवल पर इन्क्वायरी करते थे़ यदि उन्हें लगता था कि सबकुछ ठीक है तभी वे शादी के लिए हामी भरते थे़ लड़की पक्ष और लड़का पक्ष की ओर से यह प्रक्रिया दोनों लेवल पर चलती थी, तब जाकर दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेते थे. हालांकि बदलते वक्त के साथ अब जोड़ियां मैट्रिमोनियल साइट्स तय करने लगी हैं. इसलिए कह सकते हैं कि रिश्ते-नाते को तलाशने का जो काम पहले अगुआ या मीडिएटर करते थे, वे अब मैट्रिमोनियल साइट्स करने लगी हैं. इसके जरिये हम आज अपने प्रोफाइल और जरूरत के हिसाब से वर या वधू तो ढूंढ़ रहे हैं. पर सात फेरों के ये रिश्ते अब शॉर्टकट बनने लगे हैं. इनमें कई तरह की अड़चनें आ रही हैं. ऐसे कई केस सामने आये हैं जिनमें रिश्ते जुड़ने के साथ ही टूट चुके हैं या टूटने के कगार पर है़ं पेश है केस स्टडी के आधार पर जुही स्मिता की रिपोर्ट…
केस 1: लड़की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है़ वहीं लड़का विद्युत विभाग में काम करता है. मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये दोनों का रिश्ता तय हुआ और इसी साल अप्रैल में दोनों की धूमधाम से शादी हो गयी. शादी के एक महीने बाद अचानक लड़की को हेल्पलाइन में पूछताछ के लिए बुलाया जाता है. वहां जाकर पता चला कि जिससे उसकी शादी हुई है, वो शख्स पहले से ही शादीशुदा है़ इतना ही नहीं उसकी चार साल की एक बेटी भी है. अब वह उससे अलग हाेना चाहती है़ यह मामला तब सामने आया जब उसकी पहली पत्नी ने हेल्पलाइन में शिकायत की.
केस 2: लड़की ने जब एमसीए की पढ़ाई पूरी कर ली तो उसके पैरेंट्स मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये उसकी शादी के लिए एक लड़के को पसंद किया. प्रोफाइल में दी गयी जानकारी को पूरी तरह से चेक किये बिना दोनों की शादी तय हुई़ शादी होने के कुछ दिनों के बाद पता चला कि लड़का कोई जॉब नहीं करता है. कई दिनों तक लड़के ने लड़की को घर वालों से मिलने नहीं दिया जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में रहने लगी. आज उसका तलाक हो चुका है.
केस 3: दानापुर की रहने वाली सीमा (काल्पनिक नाम) की शादी के अभी कुछ ही दिन हुए हैं. उसका पति हर दिन कुछ न कुछ बहाने करके तीन-चार दिनों तक बाहर रहने लगा. शक होने की वजह वह मदद लेने महिला हेल्पलाइन पहुंची. जहां उनके कहने पर मैरेज ऑफिस में जाकर मैरेज रजिस्ट्रेशन चेक किया गया़ काफी छानबीन करने पर पता चला कि वह शख्स पहले से ही शादीशुदा है. दोनों की शादी मेट्रीमोनियल साइट्स से हुई थी. छानबीन करने के बाद पता चला कि लड़के ने दूसरी शादी दहेज के लिए की थी और तीसरी शादी करने की तैयारी कर रहा था.
केस 4 :बोरिंग रोड की रहने वाली मोना (काल्पनिक नाम) की शादी जिस लड़के से हुई थी वह शादी के बाद नौकरी करने के लिए बेंगलुरु चला गया. कई महीनों तक जब उसकी कोई खोज-खबर नहीं मिली तो पत्नी ने बेंगलुरु जाने का प्लान बनाया. जब पत्नी वहां पहुंची तो पति ने उसे पहचाने से ही मना कर दिया. महिला हेल्पलाइन में उसे काउंसेलिंग के लिए भी बुलाया गया लेकिन वह नहीं आया. आखिर में दोनों ने तलाक ले लिया. इनका भी रिश्ता मैट्रिमोनियल साइट्स से ही जुड़ा था.
इस तरह की शादियों की सफलता का प्रतिशत अरेंज्ड के मुकाबले कम है. इन माध्यमों से होने वाली शादियों के ओवरऑल प्रतिशत को देखें, तो ऐसे रिश्ते टीक नहीं पाते हैं. मैट्रिमोनियल साइट्स में जो जानकारियां दी जाती हैं, उनके फेक होने की संभावना भी होती है. ऐसा वर-वधू दोनों पक्षों की ओर से होता है.
– सरिता सजल, काउंसेलर महिला हेल्पलाइन
मैट्रिमोनियल साइट्स पर बने प्रोफाइल ज्यादातर फेक होते हैं. यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे इनमें दी गयी जानकारी को चेक करें और पड़ताल करें. अगर किसी पैरेंट्स को फेक आइडी की जानकारी मिलती है तो वे तुरंत हमारे पास आकर इसकी शिकायत कर सकते हैं.
– प्रमीला कुमारी, प्रोजेक्ट मैनेजर महिला हेल्पलाइन
आज भी कई पैरेंट्स अपने कम्युनिटी में ही शादी करना चाहते हैं ऐसे में मैट्रिमोनियल साइट्स काफी मदद करते हैं, लेकिन पैरेंट्स को ख्याल रखना होगा कि रिश्ता तय करने से पहले अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करें. मैट्रिमोनियल साइट्स पर दी गयी जानकारियों पर आंख मूंद कर विश्वास न करें.
– प्रो आरएन शर्मा, समाज शास्त्री
नहीं टिक पा रहे हैं रिश्ते
उपयुक्त इन चार केसों से यह पता चलता है कि सोशल आैर आॅनलाइन मैट्रिमोनियल साइट्स के इस जमाने में सात फेरे लेना उतना ही आसान हो गया है, जितना कि खुद के लिए कोई ड्रेस लेना. हालांकि इस आॅनलाइन रिश्तों में ज्यादातर में खटास बहुत जल्दी आ जाती है. कोई-कोई रिश्ता तो महीने या साल भर भी नहीं चल पाता. आजकल साइट्स पर लोग खुद को रजिस्टर कर अपनी पसंद के युवक या युवती को पसंद करते हैं. इसमें कुछ शादी सफल जरूर होती हैं, पर अधिकांश में झूठ-फरेब के कारण शादियां कुछ दिन बाद ही टूट जाती हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि कई लोग ऑनलाइन जानकारियां देते समय अहम बात छिपा लेते हैं.
2016 में केंद्र सरकार लायी थी ये सुधार
मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये शादी के नाम पर धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में नयी गाइडलाइन जारी की थी. इसके तहत सभी वेबसाइट्स पर यूजर को पहचान पत्र की कॉपी अपलोड करना अनिवार्य है. प्रोफाइल के लिए ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि अपलोड करना होता है.
इन बातों का रखें ख्याल
जब भी प्रोफाइल सेलेक्ट करें तो कोशिश करें की उसमें दी गयी सभी जानकारी सही हो. हो सके तो खुद या फिर किसी विश्वस्त सूत्र के माध्यम से जांच-पड़ताल जरूर करें क्योंकि कई बार दी गयी जानकारी गलत भी हो सकती है.
बैकग्राउंड चेक नहीं करने से बढ़ रही परेशानी
कई बार मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये रिश्ता तय करते वक्त लोग गहराई से बैकग्राउंड चेक नहीं करत हैं. जिसका परिणाम यह होता है कि शादियां कुछ ही दिनों बाद टूट जाती हैं. इसके बाद जिंदगी भर पछताने के सिवा और कुछ भी नहीं बचता. शादी के बाद कई ऐसी बातें पता चलती हैं, जिसे चाह कर भी ठीक नहीं किया जा सकता. आज भी हमारे देश में 80 प्रतिशत शादियां अरेंज्ड होती हैं. इनमें अधिकतर वेबसाइट के जरिये होती हैं. कई पैरेंट्स को शादी की इतनी जल्दी होती है कि प्रोफाइल या बैकग्राउंड बिना जांचे-परखे ही शादी करने को राजी हो जाते हैं, जिनका खामियाजा उन्हें और उनके परिवार को बाद में भुगतना पड़ता है.