एक स्टडी में कहा गया कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापे की समस्या झेल रही होती हैं, उनसे जन्म लेने वाले बच्चे को आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. वहीं, एक नयी स्टडी में दावा किया गया है कि स्टेटिन ग्रुप की दवा लेने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा दोगुना हो जाता है. दरअसल, स्टेटिन ग्रुप की दवा उपयोग शरीर में कोलेस्ट्रॉल को स्तर कम करती है. कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा आर्टरी में प्लाक जमाने का काम करता है, जो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्टेटिन सीरीज की दवा 54 फीसदी हार्ट अटैक और 48 फीसदी ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को दूर रखती है. स्टेटिन लिवर पर काम करती है और कोलेस्ट्रॉल के सिंथेसिस को कम कर देती है. यदि स्टेटिन एस्पिरिन के साथ लिया जाये, तो यह खतरा और कम हो जाता है. हालांकि, नये शोध के अनुसार इस दवा से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा दोगुना हो जाता है. अमेरिका में 40 से 59 साल के करीब 83 फीसदी लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए स्टेटिन का सेवन करते हैं. डायबिटीज मेटाबॉलिज्म रिसर्च एंड रिव्यूज में प्रकाशित स्टडी में स्टेटिन को टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ावा देनेवाला बताया गया है.
इस स्टडी को कोलंबस स्थित ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएट स्कॉलर विक्टोरिया जिगमॉन्ट और उनकी टीम ने 4,683 ऐसे पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया, जो स्टडी की शुरुआत के वक्त डायबिटीज के शिकार नहीं थे, लेकिन उनमें हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा था.