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Friendship Day 2019 : ”गोलमाल” फिल्म की तरह रांची में भी हैं लकी और लक्ष्मण

शौर्य पुंजआपने फिल्मों में तो कई दोस्तों की जोड़ियां या तिकड़ियां देखीं होंगी. चाहे वो शोले के जय-वीरु हों, थ्री इडियट्स के रैंचो, राजू या फरहान हों, गुंडे के बिक्रम और बाला हों या फिर गोलमाल सीरिज के गोपाल, माधव, लकीऔर लक्ष्मण. इन सबको एक ही चीज जोड़कर रखतीं हैं, वो हैं इनके बीच की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2019 10:23 PM

शौर्य पुंज
आपने फिल्मों में तो कई दोस्तों की जोड़ियां या तिकड़ियां देखीं होंगी. चाहे वो शोले के जय-वीरु हों, थ्री इडियट्स के रैंचो, राजू या फरहान हों, गुंडे के बिक्रम और बाला हों या फिर गोलमाल सीरिज के गोपाल, माधव, लकीऔर लक्ष्मण. इन सबको एक ही चीज जोड़कर रखतीं हैं, वो हैं इनके बीच की दोस्ती. फिल्मों में ही क्यों, असल जिंदगी में भी देखा जाए तो ऐसे कई दोस्तों की टोली मिल जाएगी जो सालों से एक दूसरे का साथ दे रही है. सुख, दुख, हर वक्त एक दूसरे का साथ निभाने का ही तो नाम है दोस्ती.

आज हम आपको मिलाने वाले हैं ऐसे ही दो दोस्तों से, जिनके बीच एक अनूठा रिश्ता है. रांची के वर्धमान कंपाउंड में रहने वाले देवांकुर चौधरी को भले ही सुनने और बोलने में परेशानी होती हो, पर भगवान ने उन्हें रामानंद पातर के जैसा ऐसा दोस्त दिया है जो इनकी सारी बातें समझता है और लोगों को देवांकुर से संवाद करने में मदद करते हैं. देवांकुर और रामानंद बचपन के साथी हैं. देवांकुर को लोगों को अपनी बात समझाने में जब भी जरूरत पड़ती है, रामानंद उनका साथ देते हैं.

रामानंद बताते हैं कि बचपन में घर के पास के खेल के मैदान में देवांकुर और रामानंद खेला करते थे, धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हुई. एक रोज राम ने देवांकुर से बात करने की कोशिश की, तो पता चला उन्हें सुनने और बोलने में परेशानी होती है. राम ने धीरे-धीरे देवांकुर की बातों को समझने की कोशिश की तो वो उनसे संवाद करने में सफल होने लगे. दोनों साथ खेलने लगे, पर दोनों की दोस्ती दसवीं के बाद परवान चढ़ी. रामानंद को पता चला कि देवांकुर को क्रिकेट खेलने में दिलचस्पी रहती है.

रामानंद बताते हैं कि उनके मित्र देवांकुर फोटेग्राफर के अलावा एक अच्छे क्रिकेटर भी रह चुके हैं. जब वो चौके-छक्के जड़ते थे, तो उनका कोई सानी नहीं रहता था.

एलईबीबी हाई स्कूल से पढ़ाई करने के बाद देवांकुर की दिलचस्पी फोटोग्राफी में जागी तो उन्होंने संत जेवियर्स कॉलेज से एनिमेशन का कोर्स किया. देवांकुर फोटोग्राफी को पेशे के रूप में अपना लिया है. बोलने में भले ही देवांकुर को परेशानी होती हो पर उनकी तस्वीरें बोलतीं हैं. सुनने में परेशानी का सामना करने वाले देवांकुर की आवाज बनतीं हैं उनके कैमरे से ली गई तस्वीरें.

ईश्वर ने देवांकुर को ऐसे हुनर से नवाजा है जो काफी कम लोगों के पास होती हैं. इसके अलावा उनके मित्र राम तो उनके साथ हर कदम पर खड़े हैं ही. रामानंद ने देवांकुर को फोटोग्राफी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए काफी बढ़ावा दिया, क्योंकि राम भी मास कम्यूनिकेशन के छात्र रह चुके हैं और राम को भी फोटोग्राफी में दिलचस्पी रहती है. दोनों मिलकर फोटोग्राफी के बारे में काफी बातें किया करते हैं.

रामानंद अपने मित्र देवांकुर के अनुवादक यानी ट्रांसलेटर की भूमिका बखूबी निभाते हैं. इन दोनों मे हो रही बातों को देखकर लोग भी अचंभे हो जाते हैं कि दोनों कैसे एक दूसरे से संवाद करते हैं. देवांकुर रामानंद या दूसरे लोगों के लिपसिंक को समझकर उनसे संवाद करते हैं. फिल्म गोलमाल में जिस तरह से लकी (तुषार कपूर) की बातों को समझने में लक्ष्मण ( शरमन जोशी/ कुणाल खेमू) मदद करते हैं ठीक उसी तरह रामानंद अपने मित्र देवांकुर की मदद करते हैं.

फ्रेंडशिप डे के अवसर पर इन दोनों की दोस्ती का जिक्र दूसरे लोगों के लिए मिसाल बनेगी की दोस्ती में दो लोगों के दिल के तार एक दूसरे से जुड़े होते हैं. दोस्ती में नाम, जात-पात किसी की जगह नहीं रहती है.

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