नाउम्मीद मरीजों को विशेष केयर
भारत में जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर व्यक्ति की सेवा (एंड ऑफ लाइफ केयर) के लिए कोई तय नीति नहीं है. एम्स, दिल्ली अब ऐसे मरीजों के लिए एक नीति बनाने की तैयारी कर रहा है, जिससे उनकी मौत सम्मानजनक और कम से कम तकलीफ के साथ हो. अस्पताल ने ऐसे मरीजों की देख-रेख के […]
भारत में जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर व्यक्ति की सेवा (एंड ऑफ लाइफ केयर) के लिए कोई तय नीति नहीं है. एम्स, दिल्ली अब ऐसे मरीजों के लिए एक नीति बनाने की तैयारी कर रहा है, जिससे उनकी मौत सम्मानजनक और कम से कम तकलीफ के साथ हो. अस्पताल ने ऐसे मरीजों की देख-रेख के लिए एक कोर कमिटी बनायी है.
इन मरीजों में कैंसर के मरीजों के अलावा अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग भी हैं, जिनके बचने की संभावना खत्म हो चुकी है. इस कमिटी का मकसद ऐसे मरीजों की पहचान करके उनका ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखना, उनके दर्द को कम करना और भावनात्मक और आध्यात्मिक मदद करना है.
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ऐसे स्टेज में मरीज के परिवार वाले इलाज रोकने के लिए कहते हैं. वे मरीज के आखिरी दिनों में उन्हें अस्पताल में और इतने ट्यूब्स और दवाइयों के साथ नहीं देखना चाहते हैं.