World AIDS Day : महिलाओं को HIV के संक्रमण का अधिक खतरा

डॉ दिव्या सुमनसीनियर रेसिडेंट व स्त्री रोग विशेषज्ञ, मधेपुरा मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा करीब 79 फीसदी लोगों को एचआईवी संक्रमण के बारे में पता है. महिलाएं इसके प्रति अधिक जागरूक हैं और 87 फीसदी महिलाएं इसकी जांच कराती हैं, जबकि केवल 68 फीसदी पुरुष ही एचआईवी की जांच कराते हैं. एचआइवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिसियेंसी वायरस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2019 1:05 PM

डॉ दिव्या सुमन
सीनियर रेसिडेंट व स्त्री रोग विशेषज्ञ, मधेपुरा मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा

करीब 79 फीसदी लोगों को एचआईवी संक्रमण के बारे में पता है. महिलाएं इसके प्रति अधिक जागरूक हैं और 87 फीसदी महिलाएं इसकी जांच कराती हैं, जबकि केवल 68 फीसदी पुरुष ही एचआईवी की जांच कराते हैं.

एचआइवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिसियेंसी वायरस के संक्रमण का कारण महिला व पुरुषों में करीब-करीब एक समान हैं. पर महिलाओं में इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है. इसलिए बचाव के लिए भी उन्हें अधिक सजग रहने की जरूरत है. यौन संबंधों के दौरान महिलाएं इस रोग से आसानी से प्रभावित होती है, क्योंकि इस दौरान योनि की कोशिकाएं टूटती हैं और वह वायरस का हिस्सा बन जाती हैं. यदि भारत की बात करें, तो यहां महिलाओं में एनिमिया (खून की कमी से होनेवाली बीमारी) बहुत ही आम बात है. एनिमिया में अक्सर मरीज को खून चढ़ाने की नौबत आती है. यह खून चढ़ाने की प्रक्रिया भी महिलाओं में HIV संक्रमण का खतरा बढ़ा देती है.

एचआइवी से बचाव के लिए महिलाओं को ज्यादा सजग होने की जरूरत है. वे अपने सेक्स पार्टनर को सुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालें. इसके अलावा कुछ अन्य सावधानियां बरतनी जरूरी हैं.

-हमेशा कॉन्डोम के इस्तेमाल को बढ़ावा दें. निरोध न सिर्फ आपको अनचाहे गर्भ के खतरे से बचाता है, बल्कि यह यौन-संबंधों के दौरान फैलने वाले कई तरह के संक्रमण से भी बचाता है. निरोध का इस्तेमाल आप परिवार नियोजन के अन्य तरीकों के साथ भी कर सकती हैं, जैसे कि आप गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर रही है या कॉपर-टी लगवाया हुआ है अथवा ऑपरेशन करवा लिया हो, तो भी यौन संबंध के दौरान कॉन्डोम के इस्तेमाल को बढ़ावा दें.

समाज की सोच बदलने की जरूरत : HIV से बचाव के लिए बहुत ही जरूरी है कि इसके लिए जागरूकता फैलायी जाये. साथ ही समाज की अवधारणा को भी बदलना होगा कि यह एक घिनौना रोग है. HIV साथ खाने, साथ रहने, छूने इत्यादि से नहीं फैलता है. सरकार इसके लिए मुफ्त इलाज भी मुहैया कराती है. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए जरूरी है HIV ग्रसित रोगी खुद को सरकार द्वारा संचालित आर्ट सेंटर्स पर रजिस्टर्ड करवाएं. यह सच है कि यह बीमारी ठीक नहीं होती है, पर यह भी उतना ही सच है कि समुचित इलाज और देख-रेख से व्यक्ति एक आम जीवन जी सकता है.

रजिस्टर्ड ब्लड बैंक से ही लें खून: खुद को स्वस्थ रखें. अपने खान-पान का ख्याल रखें. सही खान-पान आपको खून की कमी (एनिमिया) से बचाता है. खासकर गर्भावस्था के दौरान अगर खून की कमी होती है, तो मां के लिए यह बहुत बड़ी मुसीबत बन जाती है. मां की जान बचाने के लिए अक्सर डॉक्टर खून चढ़ाने की सलाह देते हैं और ऐसा करना कई बार संक्रमण की वजह बन सकता है. इसलिए खून चढ़ाने की नौबत आये, तो खून रजिस्टर्ड ब्लड बैंक से ही लें. एक रजिस्टर्ड ब्लड बैंक खून की थैलियों को HIV, HCV, HBSAg, Malaria जैसी खून से फैलनेवाली बीमारियों की जांच के बाद ही मरीज को खून चढ़ाने की इजाजत देता है. वहीं, अन्य जगहों से खरीदे गये खून प्रोफेशन डोनर के भी हो सकते हैं, जिसमें एक तो रक्त के सभी कंपोनेंट नहीं पाये जाते हैं, दूसरा डोनर पैसों के लिए बार-बार ब्लड डोनेट करते हैं और कई बार वह खुद भी सुरक्षा मानकों का इस्तेमाल नहीं करते. इससे उनके संक्रमण का खतरा अधिक होता है और वह खून जिसे चढ़ाया जाये, उसका भी इम्यून सिस्टम खराब हो सकता है. ऐसे प्रोफेशन डोनर ड्रग्स के आदि भी हो सकते हैं. उनके मल्टीपल (एक से ज्यादा) सेक्स पार्टनर भी हो सकते हैं, जो इस बीमारी के संक्रमण का अहम कारण भी है.

-संक्रमित या दुबारा इस्तेमाल होनेवाली सूइयों से बचें. ऐसी सूइयां आपको इंजेक्शन देने, पानी या खून चढ़ाने के अलावा टैटू बनवाने के दौरान भी संक्रमित कर सकती हैं. इसलिए किसी भी सूई के अपने शरीर पर इस्तेमाल से पहले सुनिश्चित कर लें कि वह पैकेट आपके सामने खोली गयी है.

-गर्भावस्था के दौरान अपने HIV स्टैटस की जांच अवश्य करवाएं. यह आनेवाले शिशु की सुरक्षा और बचाव के लिए अति आवश्यक है. अगर मां HIV पॉजीटिव होती है, ताे गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव उपरांत कुछ खास बातों का ध्यान रख कर शिशु को इसके संक्रमण से बचाया जा सकता है. डॉक्टर आपके सीडी 4 सेल काउंट के अनुरूप आपकी दवाइयां निर्धारित करेंगे.

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